दातों की कैविटी क्या अपने आप ठीक हो जाती है या डॉक्टरों को दिखाना है जरूरी, एक्सपर्ट से जानें

दातों की कैविटी क्या अपने आप ठीक हो जाती है या डॉक्टरों को दिखाना है जरूरी, एक्सपर्ट से जानें

दाँत सड़ने का इलाजImage Credit source: Halfpoint Images/Moment/Getty Images

दांतों की कैविटी किसी भी उम्र में हो सकती है. हर उम्र में ओरल हेल्थ का ख्याल रखना जरूरी है. दांतों की कैविटी अक्सर बच्चों को होती है. बच्चे अधिक मीठा खाना पसंद करते हैं लेकिन ब्रश करने में आनाकानी करते हैं. दांतों में कैविटी होने के कारण कई बार दांतों में तेज दर्द भी होता है. इसे लिए डेंटिस्ट के पास जाना जरूरी हो जाता है, लेकिन कई लोग मान लेते हैं कि ये खुद से ठीक हो जाएगी! इस आर्टिक में जानिए इसका सच.

दातों की कैविटी और मिथ

दातों की कैविटी में दांत में छोटे गड्डे बनने लगते हैं. कई लोग मानते हैं जैसे -जैसे दांत बड़े होंगे या मजबूत होंगे, दांतो की कैविटी खुद से खत्म हो जाएगी. लेकिन असलियत इस सोच से अलग है, कैविटी के कारण अगर एक बार दांत सड़ना शुरु हो जाएं तो ये सड़न खुद से नहीं रुकती, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ने लगती है. इसलिए दर्द होने या गड्ढा दिखने तक इंतज़ार न करे. नियमित सफाई और समय पर डेंटिस्ट के पास जाकर चेकअप करवाना ही कैविटी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है.

कैविटी कैसे होती है?

दांतो पर जनी हुई प्लाक के कारण कैविटी बनती है. प्लाक कर तरह का चिपचिपा पदार्थ होता है तो दांतों के उपर चिपक जाता है. ज्यादा मीठा खाने, चिपचिपा खाना खाने से दांतों पर बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं. प्लाक में जमे बैक्टीरिया का साफ न किया जाए तो ये शुगर को एसिड में बदल देते हैं.. यहीं से एसिज धीरे-धीरे दातों की उपरी परत जिसे इनेमल कहते हैं उसका नुकसान पहुंचाने लगते हैं. शुरुआत में हल्की सी परत को नुकसान पहुंताचे हैं लेकिन समय पर ध्यान न देने से ये कैविटी गड्डे का रुप ले लेती है.

क्या कैविटी खुद से भर सकती है?

कैविटी का जब असर इनेमल्स पर हल्की ही रहते है, तभी खान-पान में सुधार और अच्छी डेंटल हाइजीन से इसे रोका जा सकता है. केल्शियम और फ्लोराइड जैसे मिनरल्स दोबारा दांतों की सतह हो मजबूत कर सकते हैं. लेकिन जैसे ही कैविटी इनेमल के अंदर डेंटिन तक पहुंचती है, तो दांत इस समय खुद से ठीक नहीं हो सकते. उस स्टेज पर डॉक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है.

कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?

  • अगर दांत में गड्ढा साफ दिखने लगे.
  • मीठा या ठंडा-गर्म खाने पर दर्द या संवेदनशीलता (sensitivity) महसूस हो.
  • दांत में लगातार दर्द रहने लगे.
  • खाना फंसने लगे या बदबू आने लगे

इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. क्योंकि जितनी देर करेंगे, कैविटी उतनी ही गहरी होती जाएगी. आखिरकार दांत की नस तक संक्रमण पहुंच सकता है और तब रूट कैनाल या दांत निकलवाने की नौबत आ सकती है.

इलाज क्या है?

  • बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है
  • दिन में कम से कम दो बार अच्छे से ब्रश करें.
  • मीठी चीज़ें और चिपचिपा खाना कम खाएं.
  • माउथवॉश या फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें.
  • हर 6 महीने में एक बार डेंटिस्ट को दिखाकर चेकअप करवाएं.

डेंटिस्ट आमतौर पर कैविटी को साफ करके उसमें फिलिंग करते हैं. इससे सड़न रुक जाती है और दांत दोबारा मजबूत बन जाता है. अगर कैविटी गहरी है तो डॉक्टर रूट कैनाल ट्रीटमेंट या कभी-कभी दांत निकालने की सलाह भी देते हैं. शुरुआती स्टेज पर पहुंचने से पहले ही इलाज कर लिया जाए तो दांत लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है.