
सोनम की रिहाई के लिए पत्नी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुक) के तहत पति की हिरासत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वांगचुक की पत्नी ने कोर्ट से अपने पति को तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया है. वांगचुक को लद्दाख में प्रदर्शनों के दो दिन बाद 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था. लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर उस केंद्र शासित प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे. हिंसा फैलाने के आरोप में वांगचुक अभी राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं.
वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और वकील सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में अंगमो ने वांगचुक के खिलाफ रासुका लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है. अंगमो ने अदालत में दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में इसे तत्काल सूचीबद्ध करने और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को न्यायालय के समक्ष सोनम वांगचुक को तुरंत पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिका में बंदी तक तत्काल संपर्क प्रदान करने और निवारक निरोध आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया गया है.
तत्काल संपर्क करने की अनुमति दें
याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लेह के उपायुक्त और जोधपुर जेल अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया है. साथ ही उन्हें यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वे याचिकाकर्ता को उसके पति से टेलीफोन और व्यक्तिगत रूप से तत्काल संपर्क करने की अनुमति दें. याचिका में आरोप लगाया गया कि वांगचुक की हिरासत, अवैध, मनमानी और असंवैधानिक है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
हिरासत में क्यों लिया, आज तक नहीं बताया
याचिका में कहा गया है कि वांगचुक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित नवप्रवर्तक, पर्यावरणविद् और समाज सुधारक रहे हैं. उन्होंने लद्दाख की पारिस्थितिक और लोकतांत्रिक चिंताओं को उजागर करने के लिए हमेशा गांधीवादी और शांतिपूर्ण तरीकों का समर्थन किया है. याचिका में कहा गया कि उन्हें दवाइयां, निजी सामान या उनके परिवार और वकील से मिलाए बिना ही तुरंत जोधपुर की सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. याचिका में दावा किया गया है कि वांगचुक या उनके परिवार को, उन्हें हिरासत में लेने का कोई आधार आज तक नहीं बताया गया है.
वांगचुक को अपना नेता मानते हैं लद्दाख के लोग
वांगचुक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उन्हें लेह में एक तरह से नजरबंद रखा गया है, जबकि वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) के छात्रों और कर्मचारियों को उत्पीड़न, धमकी और घुसपैठिया जांच का सामना करना पड़ रहा है. वांगचुक को विदेशी संस्थाओं से जोड़ने का झूठा प्रचार स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक असहमति और शांतिपूर्ण पर्यावरण सक्रियता को दबाने के इरादे से की गई दुर्भावनापूर्ण राज्य कार्रवाई को प्रदर्शित करता है. इसमें कहा गया है कि गिरफ्तारी से लद्दाख के लोगों को गंभीर मानसिक पीड़ा और पीड़ा हुई है, जो वांगचुक को अपना नेता मानते हैं.