Kartik Purnima Snan 2025: कार्तिक पूर्णिमा को कौन-से तीर्थों पर करें स्नान? जहां भक्त को मिलता है विशेष पुण्य

Kartik Purnima Snan 2025: कार्तिक पूर्णिमा को कौन-से तीर्थों पर करें स्नान? जहां भक्त को मिलता है विशेष पुण्य

कार्तिक पूर्णिमाImage Credit source: AI

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि इस वर्ष 4 नवंबर की रात 10:36 बजे से प्रारंभ होकर 5 नवंबर 2025 की शाम 6:48 बजे तक रहेगी. यह दिन अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य और मोक्ष का फल प्राप्त होता है. ऐसा विश्वास है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर गंगा स्नान करते हैं इसलिए इस दिन का स्नान और दान साधारण दिनों की तुलना में सहस्रगुना फलदायी होता है.

काशी- मोक्ष की नगरी

काशी नगरी को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए सर्वश्रेष्ठ तीर्थों में गिना गया है. इस दिन गंगा तट पर दीपदान और स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है. कहा गया है कि देव दीपावली का मुख्य उत्सव यहीं मनाया जाता है, जब संपूर्ण गंगा तट दीपों से प्रकाशित हो उठता है. जो भक्त काशी में इस दिन स्नान और दीपदान करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में शुभ फल की वृद्धि होती है.

प्रयागराज- त्रिवेणी संगम का महापुण्य

प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है, कार्तिक पूर्णिमा पर अत्यंत पवित्र माना जाता है. इस दिन यहां स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है. हजारों श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त में संगम स्नान कर दीपदान और दान-पुण्य करते हैं. यह स्थान मोक्ष और दिव्यता का द्वार कहा गया है, जहां देवता भी आकर गंगा मैया का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं.

हरिद्वार- गंगा मैया का दिव्य स्पर्श

हरिद्वार में कार्तिक पूर्णिमा का दिन गंगा स्नान और दीपदान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, इस दिन हर की पौड़ी पर स्नान करने से मन, शरीर और आत्मा तीनों शुद्ध हो जाते हैं. श्रद्धालु गंगा आरती में भाग लेकर जीवन के सभी दुख और दोषों से मुक्ति पाते हैं. गंगा मैया के दिव्य स्पर्श से जीवन में सौभाग्य, शांति और समृद्धि का प्रवाह आरंभ होता है.

पुष्कर- ब्रह्मा सरोवर का पुण्य

राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यता है कि स्वयं भगवान ब्रह्मा इस दिन यहां उपस्थित होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. इस दिन सरोवर में स्नान, दीपदान और भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लाखों श्रद्धालु यहां तीर्थ स्नान कर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं और ब्रह्मा जी की कृपा पाते हैं.

नासिक और उज्जैन- दिव्य साधना के केंद्र

महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी और मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर कार्तिक पूर्णिमा स्नान का अत्यंत महत्व है. नासिक में गोदावरी स्नान से धन, यश और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जबकि उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर के दर्शन और पूजा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं. इन पवित्र स्थलों पर स्नान करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है.

घर पर ही करें पवित्र स्नान

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भक्त कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीर्थस्थलों या नदियों में स्नान करने नहीं जा पाते, वे घर पर भी गंगाजल मिलाकर स्नान कर समान पुण्य का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि सच्ची भक्ति स्थान से नहीं, भावना से मापी जाती है. यदि व्यक्ति मन, वचन और कर्म से शुद्ध निष्ठा और श्रद्धा रखता है, तो घर पर किया गया गंगाजल स्नान भी उतना ही फलदायी होता है जितना तीर्थस्नान. यह आत्मिक शुद्धि, पापों से मुक्ति और दिव्य कृपा का प्रतीक माना गया है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *