2 महीनों में 2.3 लाख करोड़ रुपए का उछाल! PSU बैंकों का 2025 में सबसे बड़ा कमबैक

2 महीनों में 2.3 लाख करोड़ रुपए का उछाल! PSU बैंकों का 2025 में सबसे बड़ा कमबैक

सरकारी बैंक

पब्लिक सेक्टर (सरकारी) बैंकों के शेयरों ने इस साल की सबसे बड़ी वापसी कर दिखाई है. सिर्फ दो महीने में इन बैंकों का मार्केट कैप ₹2.3 लाख करोड़ बढ़ गया है. इस तेजी ने फिर से बाजार में सवाल खड़ा कर दिया है. क्या ये सिर्फ कुछ समय की तेजी है या सरकारी बैंकों के लिए नए बुल रन (लंबे समय की तेजी) की शुरुआत?

निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स अगस्त से अब तक लगभग 20% चढ़ चुका है, और मार्च के निचले स्तर से यह करीब 46% ऊपर आ गया है. अब सभी सरकारी बैंकों की कुल मार्केट वैल्यू करीब ₹18 लाख करोड़ हो गई है. ये उछाल बैंकिंग सेक्टर के बेहतर होते हालात, सरकारी नीतियों के सपोर्ट और विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी से जुड़ा है.

कौन से बैंक आगे निकले

  • इंडियन बैंक ने दो महीने में 26% तक रिटर्न दिया.
  • बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक में 20% से ज्यादा तेजी आई.
  • SBI, PNB और बैंक ऑफ बड़ौदा भी 1416% तक बढ़े हैं.
  • यानी सावधानी भरे माहौल में भी सरकारी बैंक 2025 के सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों में शामिल हो गए हैं.

$4 बिलियन की संभावित बढ़त

अगर सरकार विदेशी निवेश (FII) की लिमिट 20% से बढ़ाकर 49% कर देती है, तो सरकारी बैंकों में $4 बिलियन (करीब ₹33,000 करोड़) तक का पैसा आ सकता है. नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा होने पर PSU बैंकों के शेयरों में 2030% तक की नई तेजी देखी जा सकती है. रिपोर्ट के अनुसार अगर लिमिट बढ़ी, तो SBI में $2.2 बिलियन, इंडियन बैंक में $459 मिलियन, बैंक ऑफ बड़ौदा में $362 मिलियन, PNB में $355 मिलियन, केनरा बैंक में $305 मिलियन और यूनियन बैंक में $294 मिलियन तक निवेश आ सकता है. सरकार चाहती है कि विदेशी निवेशकों को 49% तक हिस्सेदारी की इजाजत दी जाए, लेकिन सरकार अपनी 51% हिस्सेदारी बनाए रखेगी.

विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी

हाल ही में दुबई की Emirates NBD ने RBL बैंक में $3 बिलियन का निवेश किया. जापान की Sumitomo Mitsui ने Yes Bank में $1.6 बिलियन का निवेश किया और हिस्सेदारी और बढ़ाई. यह दिखाता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बैंकों में तेजी से दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

क्या यह तेजी टिकेगी?

कोटक महिंद्रा AMC की शिबानी सिरकार कुरियन का मानना है कि बड़े सरकारी बैंकों में अब भी अच्छे मौके हैं. रिटेल लोन में बढ़ोतरी और डिपॉजिट की लागत घटने से इन बैंकों की कमाई बढ़ सकती है. उन्होंने कहा, “बैंकों के वैल्यूएशन (कीमत) अभी भी आकर्षक हैं, खासकर पुराने रिकॉर्ड की तुलना में.” वहीं, मास्टर कैपिटल सर्विसेज के विष्णु कांत उपाध्याय का कहना है कि कई सरकारी बैंक अभी भी मजबूत चार्ट पैटर्न दिखा रहे हैं और नए हाई बनाने की तैयारी में हैं लेकिन एमके ग्लोबल के सेशाद्रि सेन का मानना है कि यह तेजी लंबी नहीं चलेगी. उन्होंने कहा, अगले कुछ महीनों में तो नतीजे अच्छे रहेंगे, लेकिन FY27 तक बैंकों की कमाई पर दबाव आ सकता है. वेतन समझौते और घटती ट्रेजरी आय के कारण.