
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस तिथि को पूरे देश में जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है, लेकिन मथुरा और वृंदावन के उत्सव की बात ही अलग है। यहां की जन्माष्टमी पूरे देश में विशेष महत्व रखती है क्योंकि मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है और वृंदावन उनका बाल्यकाल का प्रमुख स्थल रहा है।
अष्टमी तिथि का समय
पंचांग के अनुसार, 2025 में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 15 अगस्त, शुक्रवार की रात 11:50 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त, शनिवार की रात 09:34 बजे समाप्त होगी। चूंकि अष्टमी का सूर्योदय 16 अगस्त को हो रहा है, इसलिए मथुरा-वृंदावन सहित देशभर में जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन वृद्धि, ध्रुव, ध्वजा और श्रीवत्स नाम के चार शुभ योग दिनभर बने रहेंगे।
मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी का महत्व
क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और उनका बचपन वृंदावन में बीता, इसलिए यहां जन्माष्टमी का पर्व अत्यंत भव्य और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां के श्रीकृष्ण मंदिरों में विशेष सजावट होती है। बांके बिहारी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और अन्य प्राचीन मंदिरों में हजारों भक्त दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
बांके बिहारी मंदिर में विशेष मंगला आरती
मथुरा-वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर, जो स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रकट हुए श्रीकृष्ण के स्वरूप को समर्पित है, में एक विशेष परंपरा है — यहां सालभर मंगला आरती नहीं होती, केवल जन्माष्टमी पर ही संपन्न की जाती है। मान्यता है कि भगवान बांके बिहारी रात में राधा रानी और गोपियों के साथ रास रचाते हैं और सुबह देर तक विश्राम करते हैं, इसलिए सामान्य दिनों में आरती नहीं की जाती। जन्माष्टमी के दिन अपवाद स्वरूप तड़के मंगला आरती होती है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं।