ये हमारा दावा है कि सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग ठीक होगा “ • ˌ

ये हमारा दावा है कि सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग ठीक होगा “ • ˌ

Leukoderma (सफेद दाग) एक त्वचा रोग है इस रोग के रोगी के बदन पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग आ जाते हैं पूरे विश्व में एक से दो प्रतिशत लोग इस रोग से प्रभावित हैं लेकिन इसके विपरीत भारत में इस रोग के शिकार लोगों का प्रतिशत चार से पांच है तथा राजस्थान और गुजरात के कुछ भागों में पांच से आठ प्रतिशत लोग इस रोग से ग्रस्त हैं शरीर पर सफेद दाग आ जाने को लोग एक Stigma(कलंक) के रूप में देखने लगते हैं और कुछ लोग भ्रम-वश इसे कुष्ठ रोग मान बैठते हैं।ये हमारा दावा है कि सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग ठीक होगा “ • ˌ

इस रोग से पीड़ित लोग ज्यादातर Frustration(हताशा) में रहते है उनको लगता है कि समाज ने उनको बहिष्कृत किया हुआ है इस रोग के एलोपैथी और अन्य चिकित्सा-पद्धतियों में इलाज हैं- शल्यचिकित्सा से भी इसका इलाज किया जाता है लेकिन ये सभी इलाज इस रोग को पूरी तरह ठीक करने के लिए संतोषजनक नहीं हैं इसके अलावा इन चिकित्सा-पद्धतियों से इलाज बहुत महंगा है और उतना कारगर भी नहीं है- रोगियों को इलाज के दौरान फफोले और जलन पैदा होती है-इस कारण बहुत से रोगी इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं।आइये जाने ऐसा प्रयोग जिसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं  होता

सिर्फ 7 दीन में सफ़ेद दाग (श्वेत कुष्ठ) खत्म होगी : दिवान हकीम परमानन्द जी के द्वारा अनभूत प्रयोग

आवश्यक सामग्री

  1. 25 ग्राम देशी कीकर (बबूल) के सूखे पते
  2. 25 ग्राम पान की सुपारी (बड़े आकार की)
  3. 25 ग्राम काबली हरड का छिलका

बनाने की विधि

उपरोक्त तीन वस्तुएँ लेकर दवा बनाये।  कही से देशी कीकर (काटे वाला पेड़ जिसमे पीले फुल लगते है ) के ताजे पत्ते (डंठल रहित ) लाकर छाया में सुखाले कुछ घंटो में पत्ते सुख जायेगे बबूल के इन सूखे पत्तो को काम में ले पान वाली सुपारी बढिया ले इसका पावडर बना ले कबाली हरड को भी जौ कुट कर ले और इन सभी चीजो को यानि बबूल , सुपारी , काबली हरड का छिलका (बड़ी हरड) सभी को 25-25 ग्राम की अनुपात में ले कुल योग 75 ग्राम और 500 मिली पानी में उबाले पानी जब 125 मिली बचे तब उतर कर ठंडा होने दे और छान कर पी ले ये दवा एक दिन छोड़ कर दुसरे दिन पीनी है अर्थात मान लीजिये आज आप ने दवा ली तो कल नहीं लेनी है और इस काढ़े में 2 चमच खांड या मिश्री मिला ले (10 ग्राम) और ये निहार मुह सुबह –सुबह पी ले और 2 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं है दवा के प्रभाव से शरीर शुद्धि हो और उलटी या दस्त आने लगे परन्तु दवा बन्द नहीं करे 14 दीन में सिर्फ 7 दिन लेनी है और फीर दवा बन्द कर दे कुछ महीने में घिरे –घिरे त्वचा काली होने लगेगी हकीम साहब का दावा है की ये साल भर में सिर्फ एक बार ही लेने से रोग निर्मूल (ख़त्म) हो जाता है अगर कुछ रह जाये तो दुसरे साल ये प्रयोग एक बार और कर ले नहीं तो दुबारा इसकी जरूरत नहीं पडती।

पूरक उपचार

एक निम्बू, एक अनार और एक सेब  तीनो का अलग – अलग ताजा रस निकालने के बाद अच्छी तरह परस्पर मिलाकर रोजाना सुबह शाम या दिन में किसी भी समय एक बार नियम पूर्वक ले। यह फलो का ताजा रस कम से कम दवा सेवन के प्रयोग आगे 2-3 महीने तक जारी रख सके तो अधिक लाभदायक रहेगा।

औषधियों की प्रयोग विधि :

  1.  दवा के सेवन काल के 14 दिनों में मक्खन घी दूध अधिक लेना हितकर है क्योकि दवा खुश्क है।
  2. चौदह दिन दवा लेने के बाद कोई बिशेस परहेज पालन की जरुरत नहीं है श्वेत कुष्ठ के दुसरे इलाजो में कठीन परहेज पालन होती है परन्तु इस ईलाज में नातो सफेद चीजो का परहेज है और ना खटाई आदि का फीर भी आप मछली मांस अंडा नशीले पदार्थ शराब तम्बाकू आदि और अधिक मिर्च मसले तेल खटाई आदि का परहेज पालन कर सके तो अच्छा रहेगा।
  3. दवा सेवन के 14 दिनों में कभी –कभी उलटी या दस्त आदि हो सकता है इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे शारीरिक शुध्धी के द्वारा आरोग्य प्राप्त होनेका संकेत समझना चाहिए।
  4. रोग दूर होने के संकेत हकीम साहब के अनुसार दवा के सेवन के लगभग 3 महीने बाद सफेद दागो के बीच तील की तरह काले भूरे या गुलाबी धब्धे ( तील की तरह धब्बे ) के रूप में चमड़ी में रंग परिवर्तन दिखाई देगा और साल भर में धीरे –धीरे सफेद दाग या निसान नष्ट हो कर त्वचा पहले जयसी अपने स्वभाविक रंग में आ जाएगी फीर भी यदि कुछ कसर रह जाये तो एक साल बीत जाने के बाद दवा की सात खुराके इसी तरह दुबारा ले सकते है।
  5. दिवान हकीम साहब का दावा है की उतर्युक्त ईलाज से उनके 146 श्वेत कुष्ठ के रोगियों में से 142 रोगी पूर्णत : ठीक अथवा लाभान्वित हुये है कुछ सम्पूर्ण शरीर में सफेद रोगी भी ठीक हुये है निर्लोभी परोपकारी दीवान हकीम परमानन्द जी की अनुमति से बिस्तार से यह अनमोल योग मानव सेवा भावना के साथ जनजन तक पहुचा रहा हु इस आशा और उदात भावना के साथ की पाठक निश्वार्थ भावना से तथा बिना किसी लोभ के जनजन तक जरुर पहुचाये।