हस्तरेखा शास्त्र भारत की प्राचीन विद्या है, जिसका संबंध सीधे व्यक्ति के भाग्य, व्यक्तित्व और भविष्य से जोड़ा जाता है। यह शास्त्र मानता है कि हर व्यक्ति के हाथ की हथेली में बनी रेखाएं और चिह्न किसी न किसी रूप में उनके जीवन के रहस्यों को उजागर करते हैं। विशेषकर हथेली में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत और शुक्र पर्वत का बड़ा महत्व बताया गया है। इन रेखाओं और पर्वतों की गहराई, लंबाई और उनके ऊपर बने विशेष चिन्ह व्यक्ति की आयु, बीमारी और जीवन के उतार-चढ़ावों की जानकारी देते हैं।

हस्तरेखा विद्या के अनुसार, हथेली की सबसे महत्वपूर्ण रेखा होती है जीवन रेखा, जो सीधे तौर पर व्यक्ति की उम्र और सेहत के बारे में जानकारी देने वाली मानी जाती है। लेकिन अगर इस रेखा पर कुछ विशेष चिन्ह मौजूद हों, तो इसे शुभ नहीं माना जाता। यही कारण है कि जीवन रेखा में उत्पन्न विभिन्न प्रतीक और क्रॉस के निशान को व्यक्ति की अकाल मृत्यु या गंभीर बीमारियों का संकेत बताया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि हथेली पर कौन सी रेखाएं और चिह्न अशुभ माने जाते हैं।
टूटी-फूटी जीवनरेखा का संकेत
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में जीवन रेखा कई जगहों पर टूटी हुई या खंडित दिखाई दे, तो यह स्वास्थ्य में बाधाओं और रोगों का संकेत माना जाता है। ऐसी स्थिति में जन्म के शुरुआती 12 वर्षों तक व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। वहीं यदि यह खंडन स्पष्ट रूप से दिखाई दे, तो कहा जाता है कि 35 वर्ष की आयु में व्यक्ति किसी गंभीर और कठिन बीमारी का शिकार होता है, और यह परेशानी लगभग तीन साल तक बनी रहती है।
चंद्रपर्वत पर क्रॉस का चिह्न
हथेली का चंद्रपर्वत चंद्रमा का प्रतीक होता है और यह यात्रा, भावनाओं और जल तत्त्व से संबंधित माना जाता है। यदि इस पर्वत पर क्रॉस यानी क्रॉस का चिन्ह बना हुआ है, तो हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यह बड़ा ही अशुभ संकेत है। कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को जल से विशेष सावधानी रखनी चाहिए। चाहे वह नदी हो, तालाब हो या समुद्र—इन स्थानों के निकट जाने पर डूबने की आशंका अधिक मानी जाती है।
शनि पर्वत पर क्रॉस का प्रभाव
हस्तरेखा विज्ञान कहता है कि शनि पर्वत पर बने क्रॉस का निशान दुर्भाग्य और अकाल मृत्यु का संकेत माना जाता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में अक्सर चोट लगने के योग बने रहते हैं। कई बार यह निशान बड़ी बीमारी या लाइलाज रोग का कारक भी माना गया है। इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को जीवनभर कठिनाइयों और असमय मृत्यु की ओर संकेत करता है।
द्वीपयुक्त जीवनरेखा
यदि जीवन रेखा में द्वीप के समान आकृति दिखाई दे तो यह भी समस्याओं का सूचक है। ऐसी जीवन रेखा संकेत देती है कि व्यक्ति लंबे समय तक गंभीर बीमारियों से परेशान रह सकता है। कई बार इस प्रकार की रेखा अकाल मृत्यु का संकेत भी देती है।
बहुशाखी जीवनरेखा
जब जीवन रेखा अंत में जाकर कई शाखाओं में बंट जाती है, तो उसे बहुशाखी जीवनरेखा कहा जाता है। यह स्थिति भी अशुभ मानी जाती है। ऐसे व्यक्ति का जीवन सामान्य रूप से ठीक-ठाक गुजर सकता है लेकिन रेखा के इस चिन्ह को देखते हुए मृत्यु असमय होने की संभावना बताई जाती है। अक्सर इस प्रकार की रेखाएं 60 से 65 वर्ष की उम्र में दिखाई देती हैं और समय के साथ इनमें परिवर्तन भी होता रहता है।
यात्रा रेखा पर क्रॉस का चिह्न
हथेली में यात्रा रेखा भी महत्वपूर्ण होती है। यदि इस यात्रा रेखा पर क्रॉस का निशान बना हुआ है तो यह यात्रा के दौरान बाधाओं और दुर्घटनाओं का संकेत करता है। ऐसे व्यक्ति के लिए यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। पुराने ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि यात्रा रेखा पर बने क्रॉस से यह आशंका होती है कि मृत्यु यात्रा के दौरान हो सकती है या व्यक्ति भारी चोट का शिकार हो सकता है।
निष्कर्ष
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली में मौजूद ये विशेष चिन्ह शुभता के बजाय व्यक्ति के जीवन में कष्ट, बीमारियों और कभी-कभी असमय मृत्यु तक का संकेत देते हैं। हालांकि यह भी सच है कि यह शास्त्र अनुमान और परंपराओं पर आधारित है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इस प्रकार की धारणाओं को प्रमाणित नहीं करता। इसलिए यदि आपके हाथ में ऐसे चिन्ह मौजूद हैं, तो उनके आधार पर चिंतित होने के बजाय यह बेहतर होगा कि आप सतर्क रहें, नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें और विशेषज्ञों की सलाह लें।