एशियाई बाजार में दिखेगा भारत का दबदबा, इस इंडस्ट्री ने बढ़ाए तेजी से कदम

एशियाई बाजार में दिखेगा भारत का दबदबा, इस इंडस्ट्री ने बढ़ाए तेजी से कदम

भारत की बढ़ती पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता

भारत अब पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में अगला बड़ा खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहा है. S&P ग्लोबल रेटिंग्स की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम एशिया में पहले से मौजूद सप्लाई असंतुलन को और बढ़ा सकता है. भारत की योजना चीन की रणनीति की तरह है, जिसने पहले ही वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा और भारत तीसरा सबसे बड़ा केमिकल उपभोक्ता है. दोनों देश अब ऐसे रासायनिक उत्पादों की घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं जो रोजमर्रा की चीज़ों जैसे प्लास्टिक, पैकेजिंग और ऑटो पार्ट्स में इस्तेमाल होते हैं.

एशिया में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा

S&P के क्रेडिट एनालिस्ट केर लियांग चान के अनुसार, भारत की पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता चीन के बाद एशियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा को तेज़ करेगी. रिपोर्ट बताती है कि भारत बड़े निवेश जारी रखेगा ताकि देश आयात पर निर्भरता कम कर सके. फिलहाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पहले से ही ओवरकैपेसिटी है, और भारत की नई उत्पादन क्षमता इसे और जटिल बना सकती है.

निवेश और निजी क्षेत्र की भूमिका

भारत के सरकारी उपक्रम 25 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं, जो रिफाइनरी विस्तार योजनाओं से जुड़ा है. वहीं निजी क्षेत्र का निवेश 12 अरब डॉलर के करीब है, जो थोड़ी लचीला हो सकता है. S&P ने चेताया है कि इस कदम से एशियाई एक्सपोर्टर्स के लिए चुनौती बढ़ सकती है. अब उन्हें अपनी बिक्री को विविध करना और पूंजीगत खर्च को ऑप्टिमाइज करना जरूरी होगा. अन्य बाजारों, जैसे अमेरिका में यह आसान नहीं होगा, क्योंकि वहां टैरिफ बाधाएं हैं.

घरेलू मांग बनी रहेगी मजबूत

भारत का घरेलू बाजार मजबूत बने रहने की संभावना है. देश जल्द ही अमेरिका को पछाड़कर पॉलीएथिलीन का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बन सकता है. S&P के विश्लेषक शॉन पार्क के अनुसार, भारत और चीन के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य उद्योग में पहले से मौजूद ओवरकैपेसिटी को और बढ़ा रहे हैं, खासकर वैश्विक मांग धीमी रहने के बीच.

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