भारत और रूस की दोस्ती से अमेरिका हमेशा परेशान रहा है. ये परेशानी अमेरिका को अब भी है. लेकिन अब दुनिया के 9 देशों को भी परेशानी होने लगी है. खास बात तो ये है कि इन दोनों देशों की दोस्ती वजह से इन 9 देशों को मोटा नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ये 9 देश कोई और नहीं बल्कि खाड़ी देश हैं. जिनसे भारत हमेशा से कच्चा खरीदता रहा है. खास बात तो ये है कि इन खाड़ी देशों की हिस्सेदारी भारत के ऑयल बास्केट में सबसे ज्यादा रही है. लेकिन बीते कुछ साल में अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंध के बावजूद भारत रूस से सस्ती कीमतों में कच्चा तेल खरीद रहा है. मई के जो ताजा आंकड़े आए हैं, वो ना सिर्फ खाड़ी देशों को बल्कि अमेरिका के लिए भी काफी हैरान करने वाले हैं. मई के महीने में भारत ने रूस से ऐसी दोस्ती निभाई है, जिसका इंतजार रूस को भी बीते कई महीनों से था. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत ने मई के महीने में रूस से कितना तेल खरीदा है?
10 महीने के हाई पर रूसी ऑयल इंपोर्ट
भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात मई में बढ़कर 10 महीने के उच्चस्तर 19.6 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है. वैश्विक बेंचमार्क कीमतों की तुलना में रूसी तेल पर लगातार मिलने वाली महत्वपूर्ण छूट इसकी मुख्य वजह रही. केप्लर के पोत परिवहन गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता है. यह विदेशों से करीब 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है जिससे रिफाइनरियों में पेट्रोल एवं डीजल जैसे फ्यूल में बदला जाता है.
रूस है भारत को सबसे बड़ा सप्लायर
भारत के तेल सप्लायर्स में रूस की सबसे बड़ी 38 फीसदी प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है. जो कभी 2 फीसदी से भी कम थी. वहीं उसके बाद इराक का नंबर है. इराक से भारत को प्रतिदिन 12 लाख बैरल कच्चा तेल मिलता है. इराक देश के लिए दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. सऊदी अरब ने 6,15,000 बैरल प्रति दिन का निर्यात किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 4,90,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की. अमेरिका ने 2,80,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की.
केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि कुल मिलाकर, मई 2025 के लिए भारत का कच्चा तेल आयात खाका इसकी मूल्य-संवेदनशील, विविध सोर्सिंग रणनीति को उजागर करता है. बाहरी दबाव के बावजूद रूसी तेल की मात्रा उच्च बनी हुई है जो भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता की के दृष्टिकोण को मजबूत करता है.
कब से रूसी तेल खरीदना शुरू किया?
भारत परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल प्राप्त करता रहा है. हालांकि, इसने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया था. इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था. इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल आयात में काफी वृद्धि देखी गई. भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी अल्पावधि में एक प्रतिशत से बढ़कर अल्पावधि में 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गई.
क्यों खरीदा जा रहा है रूसी तेल
रितोलिया ने बताया कि ब्रेंट एवं दुबई जैसे बेंचमार्क या लागत के आधार पर पश्चिम एशिया ग्रेड की तुलना में रूस से उल्लेखनीय छूट पर कच्चे तेल की पेशकश जारी है. उन्होंने कहा कि भारत में रूसी बैरल का मजबूत प्रवाह आर्थिक, परिचालन और भू-राजनीतिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है. रूस से यूराल क्रूड की कीमत में एक प्रमुख लाभ निहित है, जो कि हमेशा बहुत अधिक छूट पर नहीं होता है लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी और पश्चिम एशिया ग्रेड की तुलना में काफी सस्ता रहता है.