रूस के साथ ऐसे दोस्ती निभा रहा है भारत, इन देशों में अब करेगा ऑयल की सप्लाई

रूस के साथ ऐसे दोस्ती निभा रहा है भारत, इन देशों में अब करेगा ऑयल की सप्लाई

क्रूड ऑयल

यूक्रेनी ड्रोन हमलों की वजह से मॉस्को की कई रिफाइनरियां बंद हो गईं, जिसके कारण रूस ने अपने ईंधन निर्यात में कटौती कर दी. अब भारत इस कमी को पूरा करने के लिए आगे आ रहा है. भारत की प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी, ब्राजील, तुर्की, यूएई और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में ईंधन की सप्लाई बढ़ा रही हैं, क्योंकि ये देश रूसी ईंधन का विकल्प ढूंढ रहे हैं.

केपलर के डेटा के मुताबिक, रूस ने अपने घरेलू बाजार को प्राथमिकता दी और ईंधन की कमी से बचने के लिए निर्यात पर रोक लगा दी. इससे सितंबर में रूस का ईंधन निर्यात लगभग 2 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कम हो गया. केपलर के रिसर्चर सुमित रिटोलिया ने बताया कि रूसी रिफाइनरियों में रुकावट और डीजल और गैसोलीन पर बैन की वजह से सितंबर के अंत में रूस से ईंधन निर्यात सीमित हो गया. भारत ने इस मौके का फायदा उठाया. ब्राजील को भारत का रिफाइंड ईंधन निर्यात अगस्त के 40,000 बीपीडी से बढ़कर सितंबर में 97,000 बीपीडी हो गया. तुर्की को सप्लाई भी 20,000 बीपीडी से बढ़कर 56,000 बीपीडी हो गई, जबकि पिछले साल सितंबर में तुर्की को कुछ भी नहीं भेजा गया था. रिटोलिया ने कहा कि जब रूस का डीजल, गैसोलीन प्रोडक्शन कम होता है, तो भारत जैसे देश इस कमी को पूरा करते हैं. ज्यादातर सप्लाई रिलायंस ने की, जबकि नायरा का योगदान कम रहा.

तुर्की और ब्राजील रूस के बड़े डीजल खरीदार हैं. नायरा ने पिछले दो साल में इन देशों को कुछ नहीं भेजा था, लेकिन यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद उसने अगस्त-सितंबर में सप्लाई शुरू की. यूएई को भारत की सप्लाई भी अगस्त के 1.4 लाख बीपीडी से बढ़कर सितंबर में 2.01 लाख बीपीडी हो गई. मिस्र और टोगो को भी ज्यादा ईंधन भेजा गया, लेकिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और मलेशिया को सप्लाई कम हुई.

कुल मिलाकर, भारत का रिफाइंड ईंधन निर्यात सितंबर में 14% बढ़कर 15.9 लाख बीपीडी हो गया.यूक्रेन ने रूसी रिफाइनरियों और पाइपलाइनों पर ड्रोन हमले तेज कर दिए, जिससे कुछ रिफाइनिंग क्षमता प्रभावित हुई और पेट्रोल-डीजल का उत्पादन कम हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्दियों से पहले ईंधन की मांग बढ़ रही है, जिसके कारण रूस के कुछ इलाकों में पंपों पर कमी और कीमतों में उछाल देखने को मिला. कीव का मकसद इन हमलों से रूस की तेल और गैस निर्यात से कमाई को कमजोर करना है. ड्रोन हमलों से रिफाइनरियों की संख्या कम होने के कारण रूस का ईंधन निर्यात तो घटा, लेकिन कच्चा तेल निर्यात के लिए ज्यादा उपलब्ध हो गया.

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