
साइलेंट अटैक
हार्ट अटैक के मामले भारत में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. खासकर युवाओं में साइलेंट अटैक किलर बन कर जान ले रहा है. पिछले कुछ सालों में अटैक की ऐसी घटनाएं सामने आई है, जिससे सोचकर ही डर लगने लगा है. किसी को एक्सरसाइज के दौरान अटैक आया तो कोई मार्निंग वॉक करते समय गिरा और खत्म हो गया. कई मामले ऐसे हुए कि डांस करते या स्कूल में पढ़ाते टीचर साइलेंट अटैक का शिकार बन गए. इन घटनाओं को देख लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक होने लगे हैं.
बीते कुछ सालों में साइलेंट हार्ट अटैक की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. हालांकि, साइलेंट अटैक को लेकर वैसे तो अभी तक कोई सटीक जानकारी का पता नहीं लगा है, लेकिन डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की मानें तो लाइफ स्टाइल में बदलाव और कोरोना महामारी के बाद बॉडी में रेसिस्टेंट पॉवर की कमी को अहम कारण माना जा रहा है.
ज्यादा एक्सरसाइज करना
डॉक्टर्स की मानें तो अधिक एक्सरसाइज या बॉडी को जरूरत से ज्यादा थकान देने से अटैक की घटनाएं बढ़ रही हैं. युवाओं में साइलेंट अटैक के पीछे यह भी माना जा रहा है कि हार्ट की नसों में ब्लॉकेज रूपी प्लाक (blood clot formation) जमने लगता है और एक सीमा के बाद यह फट जाता है, युवाओं में 75 फीसदी अटैक की समस्या प्लाक फटना बताया गया है. युवाओं में ब्लॉकेज रूपी प्लाक जवानी से ही जमने लगता हैं. यह दिल के नसों में जगह-जगह थक्का बनाता है, जिससे खून का संचालन सही तरीके से नहीं हो पाता है. प्लाक जमने से खून को प्रवाहित होने में बाधा उत्पन्न होता है और एक सीमा के बाद यह प्लाक फट जाता है.जिससे साइलेंट अटैक के मामले हो रहे हैं.
कोरोना के दौरान बढ़ी समस्या
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अजीत जैन बताते हैं कि हार्ट में प्लॉक जमने का एक कारण कोरोना वायरस भी है. इस वायरस के कारण हार्ट की नसों में ब्लॉकेज बना है. इससे नसें ब्लॉक हो जाती हैं और उससे अचानक अटैक होता है. कम आयु में हार्ट प्लाक के लिए तैयार नहीं होता इससे अटैक आने पर युवा की तुरंत मौत हो जाती है. बीते कुछ सालों से ये मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
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