
आचार्य चाणक्य इतिहास के महान रणनीतिकार, राजनीति के ज्ञाता और गहन जीवनदृष्टि रखने वाले विद्वान थे। उन्होंने अपनी नीतियों के सहारे चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का सम्राट बनाया था। उनकी नीतियों में जीवन के हर पहलू के लिए अहम सीख मौजूद है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति चाणक्य की नीतियों को अपने जीवन में उतार लेता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन सुख, सफलता और सम्मान से भर उठता है।
चाणक्य कहते हैं कि समय को कोई रोक नहीं सकता, लेकिन इसे व्यर्थ न करना पूरी तरह हमारे हाथ में है। जो लोग ईश्वर के करीब जाना चाहते हैं, उन्हें वाणी की पवित्रता, मन और इंद्रियों पर नियंत्रण तथा दयालु हृदय रखना चाहिए। प्रेम भरी आंखें, श्रद्धा से झुका सिर, सहयोगी हाथ, सन्मार्ग पर चलने वाले पांव और सत्य बोलने वाली जीभ— ये सब ईश्वर को प्रिय लगते हैं।
वे सबसे बड़ा “गुरु मंत्र” बताते हैं कि अपनी गुप्त बातें कभी भी किसी को ना बताएं, क्योंकि यह आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं। अच्छे समय से ज्यादा जरूरी है अच्छे इंसान का साथ, क्योंकि अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है, लेकिन अच्छा समय जरूरी नहीं कि अच्छा इंसान ला सके। जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर आपका चेहरा बदलता है— 20 साल का चेहरा प्रकृति की देन है, 30 साल का चेहरा जीवन के अनुभवों का परिणाम है, और 50 साल का चेहरा आपके कर्मों और स्वभाव की कमाई है।
चाणक्य के अनुसार, हर नई शुरुआत डर के साथ आती है, लेकिन याद रखें कि सफलता हमेशा कठिनाइयों के पास खड़ी होती है। जब आपके सामने बहुत सारे काम हों, तो पहले उस काम को करें जिससे सबसे अधिक फल मिलने की संभावना हो। एक समझदार व्यक्ति को सारस की तरह धैर्य और सावधानीपूर्वक अवसर देखना चाहिए तथा सही समय, स्थान और अपनी क्षमता का आकलन करके कार्य को सफल करना चाहिए।
अंत में, वे यह भी समझाते हैं कि अतीत के पछतावे से कुछ नहीं बदलता और भविष्य की चिंता उसे संवार नहीं सकती। केवल वर्तमान में एकाग्र होकर किया गया परिश्रम ही वास्तविक चमत्कार करता है और जीवन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाता है।