मैं हूं इनकम टैक्स सिस्टम1860 से ऐसे बदलता गया मेरा नियम “ • ˌ

देश का आम बजट 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाला है. जब भी बजट पेश होने की बात आती है, तो सबके जहन में एक ही सवाल कौंधता है. वह सवाल है कि क्या इनकम टैक्स पर छूट मिलेगी या नहीं. किसी भी देश को चलाने के लिए सबसे जरूरी चीज होती है पैसा. इसके बिना देश चलाना मुश्किल हो जाता है. इसे पूरा करने के लिए टैक्स सिस्टम को इंट्रोड्यूस किया गया. इसी कड़ी में आइए, इनकम टैक्स के इतिहास पर एक नजर डालते हैं. भारत के इनकम टैक्स का इतिहास 165 साल पुराना है. उस वक्त से यह लगातार बदलता गया. आज इसने GST का रूप ले लिया है. सरकारें आती गईं, सिस्टम बदलता गया और इसी के साथ बदलता गया इनकम टैक्स सिस्टम का इतिहास. आइए, इस इनकम टैक्स सिस्टम के सालों की यात्रा से पर्दा उठाते हैं, जिसने भारत को सुनहरे इतिहास में खुद को समेटे रखा है.

भारत में टैक्स की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में आयकर की शुरुआत साल 1860 में ब्रिटिश अधिकारी जेम्स विल्सन ने की थी. इसका मकसद 1857 के विद्रोह से हुए नुकसान की भरपाई करना था. शुरुआती दौर में जिनकी सालाना इनकम 200 रुपये से कम थी. उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ता था. वहीं 200-500 रुपये इनकम पर 2 फीसदी और 500 रुपये से अधिक आय पर 4 फीसदी टैक्स लगाया गया था. सेना और पुलिस के ऑफिसर को टैक्स में छूट दी गई थी. इसके बाद इनकम टैक्स लॉ में कई बदलाव किए गए. 1886 में एक नया इनकम टैक्स एक्ट पारित हुआ. इसके बाद साल 1961 में इनकम टैक्स एक्ट को फिर से बदलकर 1 अप्रैल 1962 से लागू किया गया. यह एक्ट पूरे भारत था. इसके बाद से हर साल के बजट में इस कानून में समय और जरूरत के हिसाब से बदलाव होते रहे हैं.

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आईटीआर फाइल करने वालों की संख्या में इजाफा

समय के साथ-साथ लोग टैक्स भरने में भाग लेने लगे हैं. इस बात की गवाही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों के आंकड़े देते हैं. वित्त वर्ष 2019-20 में कुल 6.48 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में कुल 6.72 करोड़ लोगों ने इसे दाखिल किया. 2021-22 में यह संख्या 6.94 करोड़ रही. 2022-23 में यह बढ़कर 7.40 करोड़ हो गई. इस तरह भारत का इनकम टैक्स सिस्टम समय के साथ और बेहतर होती जा रही है. यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही है.

आजादी के समय का टैक्स स्लैब v/s वर्तमान टैक्स स्लैब

आजादी के समय भारत में इनकम टैक्स सिस्टम काफी सिंपल था. 1947 के बाद पहली बार टैक्स स्लैब में बदलाव तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई द्वारा किया गया था. उस समय इनकम टैक्स का दायरा काफी सीमित था. उस वक्त के टैक्स स्लैब में 1,500 रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं था. वहीं 1,501 रुपये से 5,000 रुपये तक की आय पर 1 आना (यानी 1/16 रुपये) टैक्स लगता था. वहीं 5,001 रुपये से 10,000 रुपये तक की आय पर 2 आना टैक्स लगता था.

10,001 रुपये से 15,000 रुपये तक की आय पर 3 आना टैक्स. 15,000 रुपये से अधिक की आय पर 5 आना टैक्स. इस सिस्टम में टैक्स की दरें और स्लैब काफी कठिन थे. साल 1974, 1985 और 1997 में बड़े सुधारों के तहत टैक्स स्लैब को आसान बनाया गया. साल 2010 में आयकर स्लैब में एक बड़ा बदलाव हुआ. 1.6 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री किया गया. इसके बाद साल 2017 में इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया. इससे एक बड़ा वर्ग टैक्स के दायरे से बाहर हो गया.

वर्तमान टैक्स स्लैब

वर्तमान टैक्स स्लैब के अनुसार अगर आपकी आय 3 लाख रुपये तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. 3 लाख रुपये से लेकर 7 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं 7 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. अगर आपकी आय 10 लाख से 12 लाख रुपये के बीच है तो उस पर 15 फीसदी टैक्स लगेगा. 12 लाख से 15 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. 15 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.