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H-1B वीजा के धुर-विरोधी रहे ट्रंप का यूटर्न, मस्क के साथ आते ही कैसे पलटी बाजी

एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप.

एच-1बी वीजा पर जारी विवाद में एक नया मोड़ आ गया है. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार एच-1बी वीजा को लेकर अपनी राय रख दी है. हाल ही में हुए इस विवाद पर अमेरिका में रहने वाले भारतीयों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. अब ट्रंप ने इस पर सकारात्मक रुख अपनाया और एलन मस्क का समर्थन किया है, जो आलोचकों के खिलाफ लीगल इमिग्रेशन का बचाव कर रहे थे. मस्क ने एक्स पर लिखा कि मैं एच1बी कार्यक्रम की वजह से ही स्पेसएक्स, टेस्ला और अमेरिका को मजबूत बनाने वाली सैकड़ों अन्य कंपनियों का निर्माण करने वाले कई महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं.

ट्रंप ने क्या कहा?

विवाद के बाद न्यूयॉर्क पोस्ट से बात करते हुए ट्रंप ने हाई स्किल कामगारों के लिए इमिग्रेशन वीजा के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने एच-1बी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे हमेशा से वीजा पसंद रह है, मैं हमेशा से वीजा के पक्ष में रहा हूं. इसलिए हमारे पास ये है. मेरी कंपनियों में कई एच-1बी वीजा वाले लोग हैं. मैं एच-1बी में विश्वास करता रहा हूं. मैंने कई बार इसका इस्तेमाल किया है. यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है. हालांकि, ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में H-1B वीजा को बैन करने को लेकर बात कही थी.

राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल में H-1B पर रहा प्रतिबंध

2016 में ट्रम्प ने कहा था कि H-1B कार्यक्रम “श्रमिकों के लिए बहुत बुरा” था और इसे समाप्त करने का आह्वान किया. उनके प्रशासन ने ऐसे नियम लाए, जिनसे H-1B रिजेक्ट करने की दर में वृद्धि कर दी. इसके अलावा, इसने ‘विशेष व्यवसाय’ की परिभाषा के तहत कौन सी नौकरियां और शैक्षणिक डिग्रियां पात्र थीं, इसे सीमित करके व्यक्तियों के लिए H-1B याचिका के लिए क्वालीफाई प्रक्रिया को अधिक कठिन बनाने का प्रयास किया.

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यह एक ऐसा मुद्दा था जिसने विशेष रूप से भारतीय IT सेक्टर को प्रभावित किया. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015 में 6% से बढ़कर वित्त वर्ष 2018 में 24% तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2021 में घटकर 4% हो गई जब जो बिडेन ने पदभार संभाला. अब वापस से जब ट्रंप सत्ता में आने जा रहे हैं तो इसको लेकर लोगों की चिंता बढ़ गई थी कि फिर से वीजा रिजेक्शन की दर बढ़ जाएगी.

यू-टर्न की वजह क्या है?

यू-टर्न शायद अमेरिका में घरेलू इंजीनियरिंग प्रतिभा की कमी को बताता है, जिसे मस्क और ट्रंप के कान में सुनने वाले अन्य टेक्नोलॉजिस्ट ने उजागर किया है. जून में ट्रंप ने कहा था कि वे अमेरिकी विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त करने वाले विदेशियों को अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए स्वचालित रूप से बने रहने की अनुमति देना चाहेंगे. अगर उन्हें यह अवसर नहीं दिया गया, तो वे भारत या चीन जैसे देशों में लौट आएंगे और बड़ी कंपनियां बनाएंगे और वहां नौकरियां पैदा करेंगे. आज के समय में मस्क की कंपनी टेस्ला में कई ऐसे कामगार हैं, जो H1-B वीजा की वजह से वहां काम कर पा रहे हैं. अगर सरकार इसपर सख्ती लाती है तो कामगारों के साथ-साथ कंपनी को भी बेहतर कर्मचारी के जाने का नुकसान हो सकता है.

नॉन-इमीग्रेंट वीजा?

H-1B नॉन-इमीग्रेंट वीजा होता हैं जिसे अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज यह वीजा जारी करती है. यह वीजा आमतौर पर उन लोगों के लिए जारी किया जाता है,जो किसी खास पेशे जैसे-IT प्रोफेशनल, आर्किट्रेक्टचर, हेल्थ प्रोफेशनल आदि से जुड़े होते हैं. जिन लोगों को H1B वीजा मिलता है. उन्हें ही अमेरिका में अस्थायी रुप से काम करने की इजाजत होती है.