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इंडिया की 'सिगरेट इकोनॉमी' में कितना बड़ा है ई-सिगरेट का रोल? नए साल से बेल्जियम में हो जाएगा बैन

ई-सिगरेट का रोल

2025 शुरू होने से पहले ही बेल्जियम की सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. वह डिस्पोजेबल ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाला यूरोपीय संघ (EU) का पहला देश बनने जा रहा है. यह निर्णय स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. देश के स्वास्थ्य मंत्री फ्रैंक वांडेनब्रोक ने कहा कि सस्ती ई-सिगरेट युवाओं में निकोटीन की लत को बढ़ावा दे रही हैं. साथ ही, यह कदम पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होगा, क्योंकि डिस्पोजेबल ई-सिगरेट प्लास्टिक और बैटरी के कचरे में इजाफा करती हैं. अब यहां सवाल ये है कि आखिर ये ई-सिगरेट क्या है? आज की स्टोरी में यह भी जानेंगे कि भारत में सिगरेट इकोनॉमी कितनी बड़ी है और इसमें ई-सिगरेट का क्या रोल है?

भारत में क्या है ई-सिगरेट का हाल?

ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पारंपरिक सिगरेट नहीं है, बल्कि यह एक उपकरण है जिसे “वेप” के नाम से भी जाना जाता है. इसे पारंपरिक सिगरेट के विकल्प के रूप में तैयार किया गया है. बैटरी से संचालित यह उपकरण एक विशेष लिक्विड को गर्म करके भाप उत्पन्न करता है, जिसे ग्राहक सांस के माध्यम से अंदर लेता है. इस लिक्विड में आमतौर पर निकोटीन, प्रोपलीन ग्लाइकोल और ग्लिसरीन जैसे घटक शामिल होते हैं.

भारत में ई-सिगरेट को अवैध घोषित किया गया है. इसके उत्पादन, आयात, निर्यात, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है. भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जहां ई-सिगरेट की बिक्री पर पूरी तरह रोक है. इसके बावजूद, बाजार में वेपिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण गैर-कानूनी तरीके से उपलब्ध हैं. इन्हें धूम्रपान छोड़ने में सहायक बताया जाता है, जिससे युवाओं के बीच इनका उपयोग बढ़ रहा है, हालांकि ये उपकरण कानूनन लाइसेंसशुदा नहीं हैं.

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क्या है सिगरेट इकोनॉमी?

भारत में सिगरेट की खपत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर है और दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है. यानी भारत में सिगरेट का प्रोडक्शन भी खूब होता है, जबकि मांग की आपूर्ति के लिए बाहर से सिगरेट भी इंपोर्ट किया जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के आम बजट में सिगरेट पर लगने वाली ड्यूटी को 16% बढ़ाने का ऐलान किया था. इस बजट में सरकार ने पान-मसाला, बीड़ी-सिगरेट पर नेशनल कैलेमिटी कंटीन्जेंट ड्यूटी (NCCD) भी बढ़ा दी थी. आखिरी बार सरकार ने 2020 के बजट में टैक्स में बदलाव किया था. सरकार के इस फैसले से केंद्र के खजाने में टैक्स के रूप में होने वाले कलेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि डीजल, पेट्रोल और आयरन-स्टील के बाद सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स सिगरेट जैसे प्रोडक्ट से मिलता है.

इस साल के बजट सत्र के ठीक बाद वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में 19 हजार करोड़ रुपये (19,328.81) का सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स वसूला था. जो FY2021 की तुलना में 17 हजार(17,078.72) करोड़ रुपये से अधिक था. सरकार के अनुसार, तंबाकू से होने वाले टैक्स कलेक्शन का इस्तेमाल उसी से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आदि के लिए किया जाता है. सरकार द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए 83,000 करोड़ आवंटित किए गए थे.

ई सिगरेट का कितना बड़ा है रोल?

भारत में इस समय ई-सिगरेट बैन है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बैन होने के बावजूद भी इसके प्रोडक्ट बाजार में बिक रहे हैं. अमर उजाला की 2019 की रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि भारत में इसका बाजार 1500 करोड़ से अधिक का है. देश में इसके 7 हजार से अधिक फ्लैवर मौजूद हैं. रिपोर्ट कहती है कि चीन, कोरिया, जापान और दुबई से भारत में ई-सिगरेट की सप्लाई होती है, जिसमें मुंबई, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों का मुख्य रोल है.