
फतेहपुर – जिले के नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्थान असल में हजारों साल पुराना भगवान शिव और श्रीकृष्ण का मंदिर था। उनका कहना है कि मकबरे के भीतर शिवलिंग, नंदी की मूर्ति, त्रिशूल और कमल के फूल की कलाकृतियां मौजूद हैं, जो मंदिर होने का प्रमाण हैं। बढ़ते तनाव के चलते जिला प्रशासन ने स्थल को सील कर वहां बैरिकेडिंग लगा दी है।
हिंदू संगठनों के आरोप
- बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने सदर तहसील क्षेत्र स्थित इस मकबरे को लगभग 1,000 वर्ष पुराना मंदिर बताया।
- आरोप है कि मंदिर के स्वरूप को बदलकर इसे मकबरे का रूप दे दिया गया।
- संगठनों का कहना है कि यहां पहले लगभग 6-7 मंदिर थे, जिनमें भगवान शिव के शिवलिंग और नंदी बाबा मौजूद थे।
प्रशासन को चेतावनी
- बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा कि प्रशासन को इस मामले की पूरी जानकारी है और वे हर कीमत पर यहां पूजा-पाठ करेंगे क्योंकि यह आस्था का केंद्र है।
- उनका आरोप है कि दूसरे समुदाय ने मंदिर को मस्जिद में बदलने का प्रयास किया है और अवैध कब्जा किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा।
- उन्होंने स्पष्ट कहा कि आगे जो कुछ भी होगा, उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
बजरंग दल की प्रतिक्रिया
- धर्मेंद्र सिंह, बजरंग दल के जिले के सह-संयोजक, ने कहा कि प्रशासन की तैयारियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन यह निश्चित तौर पर एक मंदिर है।
- उन्होंने दावा किया कि कई लोग इस पर अपना अधिकार जता रहे हैं, लेकिन यह मूल रूप से एक प्राचीन मंदिर ही है।
यह विवाद अब स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ पूरे इलाके में तनाव का कारण बन गया है, और आने वाले दिनों में स्थिति पर सभी की नजर बनी हुई है।