
घटना के बाद टैंकर पर पानी का छिड़करते करती फायर ब्रिगेड की टीमImage Credit source: PTI
राजस्थान हाई कोर्ट ने जयपुर अग्निकांड का स्वत: संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश अनूप ढंग ने हाईवे पर भांकरोटा में एलपीजी ब्लास्ट के मामले में राज्य सरकार से दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कराने एवं दोषियों को दंडित करने के आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि ऐसे अधिकारी जिनकी लापरवाही व जिनकी अकर्मण्यता के कारण ऐसी दुर्घटना हुई है उन्हें जांच के बाद दंडित किया जाना चाहिए.
साथ ही इस दुर्घटना में घायल और मृतक के परिवारों को उचित मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए. अदालत ने कहा कि ऐसे फैक्ट्री कारखाने आबादी क्षेत्र से हटाकर दूर स्थापित किए जाने चाहिए. केमिकल और ज्वलनशील कारखाने आबादी क्षेत्र से दूर किए जाने चाहिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाईवे पर बन रहे ब्रिज का काम तय समय सीमा में जल्द से जल्द आम नागरिक की सुविधा के लिए किया जाना चाहिए.
‘ज्वलनशील पदार्थ ले जाने वाले वाहनों के लिए अलग हो व्यवस्था’
अदालत ने कहा कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ और वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों के लिए एक अलग से रास्ता बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए. ब्लैक स्पॉट और डेंजरस यू टर्न पर अलार्म की व्यवस्था की जानी चाहिए और इसके लिए बोर्ड लगाने चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में बार के अध्यक्ष महेंद्र शांडिल्य, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया राज दीपक रस्तोगी, संदीप पाठक समेत अन्य अधिवक्ताओं को इस मामले में कोर्ट को सहायता करने के भी आदेश दिए है.
हादसे में 14 लोगों की मौत, 27 अन्य घायल
जयपुर अजमेर राजमार्ग पर शुक्रवार को हुए एलपीजी गैस टैंकर हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 अन्य लोग घायल हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस भीषण गैस हादसे ने पूरे देश को हिला दिया और सड़क सुरक्षा को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं.
दरअसल एलपीजी गैस से भरे टैंकर में एक ट्रक ने टक्कर मार दी. टैंकर से रिसी गैस ने आग पकड़ ली और देखते ही देखते विकराल रूप ले लिया. इसने हाईवे के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया और हाईवे के दोनों और चल रहे वाहन इसकी चपेट में आ गए.