
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, एक गंभीर हवाई झड़प हुई। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस झड़प में पाकिस्तानी वायुसेना ने चीनी जे-10सी लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, जिनमें पीएल-15 मिसाइलें लगी थीं। इस लड़ाई में भारतीय लड़ाकू विमानों को भी नुक़सान पहुँचा, जिसकी वजह चीन की मिसाइल की मारक क्षमता को लेकर भारतीय ख़ुफ़िया जानकारी में हुई चूक मानी जा रही है।
मिसाइल की क्षमता का ग़लत अनुमान
रॉयटर्स ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि भारतीय पायलटों को यह भरोसा था कि पाकिस्तान को दी गई पीएल-15 मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता 150 किलोमीटर है। यह आमतौर पर चीनी हथियारों के निर्यात संस्करण की सीमा होती है। हालाँकि, इस झड़प में पाकिस्तानी विमानों ने 200 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी से मिसाइल दागी।
जाँच में पता चला कि चीन ने अपनी सेना (PLA) के भंडार से उन्नत पीएल-15 मिसाइलें पाकिस्तान को दी थीं, जिनकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर तक होती है। इस ग़लत आकलन की वजह से भारतीय लड़ाकू विमान, ख़ासकर राफेल, मिसाइल की मारक क्षमता के दायरे में आ गए।
चीन की ‘किल चेन’ और लाइव फ़ीड
पाकिस्तानी अधिकारियों ने रॉयटर्स से बातचीत में यह भी स्वीकार किया कि चीन ने उन्हें ‘किल चेन’ बनाने में मदद की थी। भारतीय वायुसेना के बयान में कहा गया है कि चीन ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान को लाइव सैटेलाइट फ़ीड भी दी थी। यह सब मिलकर एक ऐसे सुनियोजित हमले का हिस्सा था, जिसमें भारतीय पायलटों के लिए स्थिति को समझना मुश्किल हो गया।
भारतीय जवाबी कार्रवाई और ऑपरेशन का परिणाम
हालाँकि इस घटना से भारत को नुक़सान हुआ, लेकिन बाद में भारतीय वायुसेना और एयर डिफेंस सिस्टम ने कई पीएल-15 मिसाइलों को मार गिराया। एक मिसाइल को सुरक्षित रूप से गिराकर उस पर रिसर्च भी की जा रही है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस और 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था, लेकिन एक ग़लती की वजह से इस पूरे ऑपरेशन को लेकर पाकिस्तान ने अपनी जीत का झूठा दावा किया।