
Importance Of Dakshina In Havan: भारत में पूजा-पाठ करना, हवन करना एक सामान्य सी बात है. हवन एक बड़े अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है. यह एक विशेष धार्मिक परंपरा है जो जीवन में शांति और सकारात्मकता का कराक बनता है. अग्नि देवता के सामने जब हवन किया जाता है तो महीनों या सालों की पूजा का पुण्य फल मिलता है. यही वजह है कि बड़े पर्वों में या गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों के समय हवन करने का विधान है. ध्यान दें कि जितना महत्वपूर्ण हवन करना है उतना ही दक्षिणा का महत्व है.
हवन परंपरा के बारे में
अब ये प्रश्न है कि हवन के बाद दक्षिणा क्यों देना जरूरी है और कैसे यह सामान्य दान से अलग है और इस खास परंपरा के पीछे कौन सा गहरा भाव जुड़ा है. आइए जानते हैं हवन का महत्व क्या है.
दक्षिणा का महत्व क्या है?
दक्षिणा का अर्थ ये नहीं है कि पैसा ही दिया जाए. दक्षिणा एक भाव है जिसे करके कृतज्ञता दिखाई जाती है. हवन देव की एक शक्ति दक्षिणा देवी हैं, जो उस अनुष्ठान को पूर्ण बनाती है. हवन के बाद दक्षिणा न दिया जाए तो हवन को अधूरा माना जाता है. भले ही पूरे मन से हवन करें लेकिन जब तक दक्षिणा न दी जाए तो हवन का फल नहीं मिलता हैं.
कौन से समय दक्षिणा देना चाहिए?
बहुत से लोग हवन करवाने के तुरंत बाद ही दक्षिणा दे देते हैं लेकिन इसे सही नहीं माना जाता है. ब्राह्मणों और जानकारों की मानें तो दक्षिणा हवन के बाद उस समय देना चाहिए जब ब्राह्मण भोजन कर लें तब जरूरतमंदों को भोजन या अन्य चीजें दक्षिणा में देना चाहिए, इसे ही सही प्रक्रिया माना जाता है.
दक्षिणा में क्या देना सही है?
जरूरी नहीं है कि दक्षिणा में हमेशा धन का ही दान करें ये जरूरी हीं है. दक्षिणा में वस्त्र, फल, अनाज, भूमि या गाय आदि दक्षिणा में दे सकते हैं. ऐसी ही उपयोगी चीजें दक्षिणा में दे सकते हैं. जरूरतमंदों को मदद करना भी दक्षिणा जितना ही पुण्य फल देता है. मेहनत की कमाई से दिया गया पैसे या सामान दक्षिणा में दे सकते हैं.
कितनी होनी चाहिए दक्षिणा?
दक्षिणा देने की कोई तय राशि नहीं बताई गई है बल्कि दक्षिणा सामर्थ्य के अनुसार देने के बारे में कहा जाता है. भाव की प्रधानता होना चाहिए न की मात्रा की प्रधानता होना चाहिए. कम साधन में भी सच्चे मन से दक्षिणा देने का भी पूरा पुण्य मिलता है.