डर के मारे भगवा रंग नहीं पहन रही हर्षा रिछारिया, जानिए क्या है वजह?? ) “ ‧‧ .

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prayagraj mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में सबसे ज्यादा चर्चा हर्षा रिछारिया की है। कोई उन्हें साध्वी कहता है तो कोई एंकर और मॉडल। कई लोगों को उनके भगवा पहनने पर भी आपत्ति है। उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा कि वे डर के मारे भगवा रंग नहीं पहन रही हैं। हर्षा पहले ही साफ कर चुकी है कि वे कोई साध्वी नहीं है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक यूजर ने कहा कि नया मॉडल आ गया है। अब के साधु 5000 का मेकअप करते हैं। यह सब ढोंग दिखाना कब बंद करोगे साध्वी। ऐसा कौन सा डर है जो भगवा रंग नहीं पहन रही है? चर्चा में रहने के लिए इतना भी झूठ बोलना ठीक नहीं है।

स्वामी आनंद स्वरूप ने फेसबुक पर लिखा है, महाकुंभ मेले में निरंजनी अखाड़े के छावनी में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी महाराज से भोजन प्रसाद पर चर्चा हुई। मैंने कहा कि यह कुंभ अखाड़ों को मॉडल दिखाने के लिए नहीं आयोजित है, यह कुंभ जप, तप और ज्ञान की गंगा के लिए है। इसलिए इस कुकृत्य पर आप कार्रवाई कीजिए।

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस मामले में कहा कि महाकुंभ में इस तरह की परंपरा शुरू करना सरासर गलत है। यह विकृत मानसिकता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जिसने अभी यह तय नहीं किया है कि संन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है, उसे संत महात्माओं के साथ भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है। महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखा जाना चाहिए।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि यह मुद्दा पिछले 2-3 दिन से चर्चा में है। वास्तव में वह (रिछारिया) उत्तराखंड से हैं और वह हमारे अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा लेने आई थीं। वह मॉडल हैं और सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने रामनामी वस्त्र पहने थे।

उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा है कि जब सनातन का कोई आयोजन होता है, हमारे युवा भगवा पहनते हैं। यह कोई अपराध नहीं है। हमारे यहां परंपरा है कि कोई एक दिन, पांच दिन, सात दिन के लिए साधू होता है। इस युवती ने निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा ली थी। वह संन्यासिन नहीं बनी है

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