
सरकार ने पीली मटर के इंपोर्ट पर 30 फीसदी टैक्स लगा दिया है.
घरेलू उपज वाली दालों की कीमतों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने चने के सस्ते विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली पीली मटर पर 1 नवंबर से 30 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी है. चने का इस्तेमाल मुख्यतः फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में होता है. इस शुल्क के साथ, दिसंबर 2023 से लागू ड्यूटी फ्री इंपोर्ट समाप्त हो जाएगा. वित्त मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी एक नोटिफिकेशन के अनुसार, पीली मटर के इंपोर्ट पर 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी और 20 फीसदी एग्री सेस लगेगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर फाइनेंस मिनिस्ट्री की ओर से किस तरह का आदेश दिया गया है.
1 नवंबर के बाद की शिपमेंट पर शुल्क लागू
यह आयात शुल्क उन खेपों पर लागू होगा जो 1 नवंबर के बाद मूल देश से भेजी गई हैं. इससे पहले, भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) ने कहा था कि सस्ते आयातित पीली मटर की डंपिंग जारी रहने से मंडी में कीमतें कम रहेंगी और किसान चना उगाने से हतोत्साहित होंगे, जो देश के दलहन उत्पादन का लगभग 50 फीसदी हिस्सा है. आईपीजीए के सचिव सतीश उपाध्याय ने एफई से कहा कि पीली मटर पर शुल्क लगने से दालों की बाज़ार कीमतों में तेज़ी आएगी और इससे रबी या सर्दियों में दालों की बुआई को भी बढ़ावा मिलेगा. चना और मसूर जैसी प्रमुख दलहन किस्मों सहित रबी फसलों की बुआई जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.
कनाडा और रूस से हो रहा इंपोर्ट
पीली मटर, जिसका आयात मौजूदा समय में रूस और कनाडा से लगभग 340 डॉलर प्रति टन – 360 डॉलर प्रति टन या लगभग 300 रुपये प्रति क्विंटल – 3400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किया जा रहा है, का व्यापक रूप से नाश्ते में बेसन के रूप में उपयोग किया जा रहा है. पीली मटर की आयातित कीमतें सभी प्रकार की दालों की बाजार कीमतों से कम से कम 50 फीसदी कम थीं. सरकार चने की घरेलू आपूर्ति में सुधार करना चाहती थी, क्योंकि फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में उत्पादन 12.26 मीट्रिक टन से घटकर 11 मीट्रिक टन रह गया था.
शुल्क लगाने से होगा फायदा
सरकार के नोटिफिकेशन से पीली मटर इंपोर्ट पॉलिसी में आवश्यक स्पष्टता आने की बात कहते हुए, एक प्रमुख दाल व्यापारिक फर्म, मयूर ग्लोबल कॉर्पोरेशन के हेड, हर्ष राय ने एफई की रिपोर्ट में कहा कि यह पारदर्शिता इंपोर्टर्स को बेहतर योजना बनाने में मदद करती है और भारतीय किसानों को आगामी रबी सीजन में पीली मटर की खेती पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है. दिसंबर 2023 से अब तक अनुमानित 4 मीट्रिक टन पीली मटर का आयात किया जा चुका है. व्यापार सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में लगभग 3 मीट्रिक टन दालें कनाडा से ट्रांजिट में हैं. दिसंबर 2023 में, सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी और समय-समय पर इस छूट को बढ़ाया गया था. इससे पहले, 2017 में चने के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए इस दाल की किस्म पर 50 फीसदी का आयात शुल्क लगाया गया था.
सीएसीपी ने की थी ये सिफारिशें
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी), जो सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सिफारिश करता है, ने हाल ही में चना और मसूर जैसी कई दलहन किस्मों पर आयात शुल्क बढ़ाने और पीली मटर के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था. सीएसीपी ने ‘रबी फसलों के लिए प्राइस पॉलिसी: मार्केटिंग सेशन सत्र 2026-27’ टॉपिक वाली अपनी रिपोर्ट में सरकार द्वारा प्रमुख दालों के ड्यूटी फ्री इंपपोर्ट का बार-बार सहारा लेने की आलोचना की थी, जिससे स्थानीय कीमतें गिर रही हैं और किसानों के लिए यह शायद ही लाभकारी हो.
इंपोर्ट में किस दाल की कितनी हिस्सेदार?
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 और 2024-25 के बीच दालों के आयात पर निर्भरता 9 फीसदी से बढ़कर 23.1 फीसदी हो गई. 29.5 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ, 2024-25 में कुल दालों के आयात में पीली मटर की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी, इसके बाद चना (22 फीसदी), तुअर (16.7 फीसदी), मसूर (16.6 फीसदी) और उड़द (11.2 फीसदी) का स्थान था. वर्तमान में, तुअर और उड़द के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति 31 मार्च, 2026 तक दी गई है, जबकि बंगाल चना और मसूर पर 10 फीसदी का आयात शुल्क वित्त वर्ष 2026 के अंत तक मान्य है.




