धरती पर नहीं बना सोना, तो फिर कहां से आया? इंसानों को कैसे समझ आई इस चमकती धातु की कीमत

धरती पर नहीं बना सोना, तो फिर कहां से आया? इंसानों को कैसे समझ आई इस चमकती धातु की कीमत

उल्कापिंडों की बारिश में धरती पर आया सोनाImage Credit source: gemeni

सोना, एक ऐसी धातु जिसने इंसानी सभ्यताओं को बनाया भी है और मिटाया भी है. यह सिर्फ आभूषण या निवेश नहीं, बल्कि हजारों सालों से सत्ता, समृद्धि और जुनून का प्रतीक रहा है. लेकिन यह जानकर शायद आपको हैरानी होगी कि जिस सोने के लिए हम इतना लालायित रहते हैं, वह हमारी धरती की पैदाइश है ही नहीं. आज आपके हाथ में जो सोने की अंगूठी या चेन है, उसका एक-एक कण अरबों साल पहले अंतरिक्ष के किसी कोने में बना था. तो चलिए, आपको बताते हैं कि कैसे अंतरिक्ष से धरती पर पहुंचा, इंसानों ने इसकी कीमत कैसे समझी और आज यह दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए इतना अहम क्यों बना हुआ है.

उल्कापिंडों की बारिश में धरती पर आया सोना

वैज्ञानिकों की मानें तो सोने का जन्म धरती पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में मृत होते तारों के महाविस्फोट, यानी सुपरनोवा में हुआ था. करीब 4 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक असाधारण घटना घटी. अंतरिक्ष से उल्कापिंडों की भारी बौछार हुई, जिसने धरती की ऊपरी परतों में गहरी हलचल मचा दी. इन्हीं उल्कापिंडों के साथ सोना भी धरती पर आया और ग्रहों की टक्कर से मची उथल-पुथल के कारण यह पृथ्वी की ऊपरी परतों, यानी क्रस्ट और मेंटल तक पहुंच गया. यही वजह है कि आज हम खदानों से सोना निकाल पाते हैं.

इसके अलावा, भूकंप और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक घटनाएं भी सोना बनाने में मदद करती हैं. भूकंप के दौरान फॉल्ट लाइनों के खिसकने से खनिजों से भरा गर्म पानी तेजी से भाप बनकर ऊपर उठता है और चट्टानों पर सोने और क्वार्ट्ज की पतली परतें जमा देता है.

Origin Of Gold (1)

इंसानों की नजर इस चमकती धातु पर कैसे पड़ी?

सोने की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इस पर कभी जंग नहीं लगता और इसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती. शायद यही वजह थी कि हजारों साल पहले जब इंसानों ने इसे नदियों की रेत या चट्टानों के बीच चमकते हुए देखा, तो वे इसकी तरफ आकर्षित हो गए. पुरातत्वविदों के अनुसार, इंसान लगभग 6,000 साल पहले से सोने का इस्तेमाल कर रहा है.

मिस्र की सभ्यता ने सबसे पहले सोने को बड़े पैमाने पर गहनों और धार्मिक प्रतीकों के लिए इस्तेमाल किया. उनके राजाओं, जिन्हें फराओ कहा जाता था, की कब्रों से मिले सोने के मुखौटे और आभूषण इस बात का सबूत हैं कि वे सोने को ताकत और अमरता से जोड़कर देखते थे. भारत में भी इसका इतिहास बहुत पुराना है. सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में सोने के मनके और गहने मिले हैं. हमारे वेदों और पुराणों में सोने को ‘हिरण्य’ कहा गया है और इसे हमेशा से समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना गया है.

ताकत, व्यापार और साम्राज्यों की पहचान बना सोना

धीरे-धीरे सोने का इस्तेमाल सिर्फ सजने-संवरने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह व्यापार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद बन गया. करीब 600 ईसा पूर्व में आधुनिक तुर्की के लिडिया साम्राज्य ने सबसे पहले सोने के सिक्के बनाए. इसके बाद रोम से लेकर चीन और भारत तक, सभी बड़ी सभ्यताओं ने सोने के सिक्कों को अपनी ताकत और संपन्नता की निशानी बना लिया.

मध्ययुग में तो सोने की चाहत इस कदर बढ़ी कि इसने दुनिया का नक्शा ही बदल दिया. यूरोपीय देशों ने अमेरिका जैसे महाद्वीपों की खोज सोने की इसी लालसा में की थी. दुनियाभर में ‘गोल्ड रश’ की कहानियां भरी पड़ी हैं, जहां सोना खोजने के लिए लोगों ने अपनी जानें तक दांव पर लगा दीं.

Gold

आज भी क्यों कम नहीं हुई सोने की चमक?

आज हमारे पास डिजिटल करेंसी और स्टॉक मार्केट जैसे निवेश के आधुनिक तरीके हैं, लेकिन सोने का महत्व आज भी बना हुआ है. इसे आज भी दुनिया में सबसे सुरक्षित निवेश यानी ‘सेफ हेवन’ माना जाता है. यही कारण है कि जब भी दुनिया में कोई आर्थिक संकट या अनिश्चितता का माहौल बनता है, तो निवेशक सोने में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं, जिससे इसकी कीमतें आसमान छूने लगती हैं. भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देशों के केंद्रीय बैंक अपने खजाने में सोना जमा कर रहे हैं. इसका मकसद डॉलर जैसी कागजी मुद्राओं पर अपनी निर्भरता कम करना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *