
अनिल जोशी और राहुल गांधी
पंजाब में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल की सरकार में मंत्री रहे अनिल जोशी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. वह बुधवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अनिल जोशी के आने से पार्टी को पंजाब में मजबूती मिलेगी.
वहीं, अनिल जोशी ने पार्टी की सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में उनका दृढ़ विश्वास है कि केवल कांग्रेस ही पंजाब को प्रगति और विकास के पथ पर ले जा सकती है. प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भगेल ने कहा इससे राज्य में पार्टी को और मजबूती मिलेगी, जो पहले से ही बढ़त पर है. जोशी का स्वागत करते हुए अमरिंदर सिंह राजा ने कहा कि पंजाब के लोग आप सरकार से छुटकारा पाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें एहसास हो गया है कि पार्टी ने पंजाब को हर तरह से बर्बाद कर दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के लोगों में यह आम धारणा है कि केवल कांग्रेस ही राज्य को उस बदहाली से उबार सकती है जिसमें आप ने उसे धकेल दिया है. उन्होंने कहा कि न केवल अन्य राजनीतिक दलों के नेता कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, बल्कि सिविल सोसाइटी के सदस्य, बुद्धिजीवी और विचारक भी बड़ी उम्मीद और आशा के साथ कांग्रेस की ओर देख रहे हैं.
अनिल जोशी का जाना बीजेपी के लिए कितना बड़ा झटका?
अनिल जोशी अमृतसर नॉर्थ से दो बार के विधायक रहे हैं. वह बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उनका महत्व न केवल उनके मंत्री पद के अनुभव में निहित है बल्कि उनके चुनावी प्रभाव में भी है. सरकार में रहते हुए उन्होंने स्थानीय निकाय और चिकित्सा शिक्षा जैसे विभाग संभाले हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत सिंह औजला ने केवल 28.18% वोटों के साथ जीती थी. आप के कुलदीप सिंह धालीवाल (23.73%) दूसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू 22.88% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे, जबकि अनिल जोशी को 18% वोट मिले. अगर जोशी मैदान में नहीं होते तो संधू की जीत की संभावना ज़्यादा होती.
बीजेपी ने लिया था अनिल जोशी के खिलाफ एक्शन
बीजेपी ने अनिल जोशी को 2021 में निष्कासित कर दिया था. उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की आलोचना की थी.
बीजेपी की कार्रवाई के बाद वह शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए, लेकिन लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. हैरानी की बात यह है कि 2024 में सुखबीर सिंह बादल की मौजूदगी में वह कुछ समय के लिए अकाली दल में फिर से शामिल हुए और उसके कुछ ही महीने बाद ही कांग्रेस में शामिल हो गए.