
हार्ट अटैक आज के समय में बहुत गंभीर समस्या बन गई है, जो युवाओं समेत सभी आयु वर्ग में फैलती जा रही है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है जिसमें दिल की धमनियों में ब्लड फ्लो बाधित हो जाता है, जिससे दिल का हिस्सा नुकसान पहुंचता है और जान को सीधे खतरा हो सकता है।
क्रोनिक स्ट्रेस और हार्ट अटैक का संबंध
न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. विनीत बंगा के अनुसार, क्रोनिक स्ट्रेस यानी लंबा चलने वाला तनाव अस्थायी स्ट्रेस से अलग होता है। यह लगातार बना रहता है और इससे शरीर और दिमाग दोनों प्रभावित होते हैं।
जब शरीर में लगातार तनाव बना रहता है तो कॉर्टिसोल और एड्रिनालिन जैसे स्ट्रेस हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। ये हार्मोन दिल पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल की नसें सिकुड़ने लगती हैं। इससे खून जमने का खतरा बढ़ जाता है, जो सीधे हृदय दौरे या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
लंबे तनाव का मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
क्रोनिक स्ट्रेस से मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामिन और नॉरएपिनेफ्रिन जैसे हार्मोन की कमी हो जाती है, जिससे मानसिक समस्याएं जैसे उदासी, चिंता, बेचैनी और डर बढ़ता है। यह दिमाग की सोचने-समझने की क्षमता और याददाश्त को भी प्रभावित करता है।
कैसे पाएं राहत?
क्रोनिक स्ट्रेस का इलाज घर पर करना कठिन होता है क्योंकि यह एक गंभीर मानसिक समस्या है। मरीज को मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता है। इसके साथ ही कुछ लाइफस्टाइल बदलाव जैसे नियमित व्यायाम, ध्यान, अच्छा आहार, और पर्याप्त नींद भी तनाव कम करने में मदद कर सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लंबे समय तक तनाव में रहने से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।