पड़ोसियों को दोष देना पाकिस्तान की आदत, अफगानिस्तान पर हवाई हमले की भारत ने की खिंचाई “ • ˌ

पड़ोसियों को दोष देना पाकिस्तान की आदत, अफगानिस्तान पर हवाई हमले की भारत ने की खिंचाई “ • ˌ

अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी आर्मी द्वारा किए गए हवाई हमले की भारत सरकार ने कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अपनी आंतरिक विफलताओं के लिए पड़ोसियों को दोष देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है।

पिछले साल संबर में पाकिस्तानी वायु सेना ने अफगानिस्तान में घुसकर हवाई हमले किए थे। इन हमलों में महिलाओं-बच्चों समेत 46 लोग मारे गए थे।

24 दिसंबर को पाकिस्तान के हवाई हमलों में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 46 नागरिक मारे गए। चार दिन बाद, अफगान तालिबान बलों ने कहा कि उन्होंने हवाई हमलों के जवाब में, दोनों देशों के बीच विवादित सीमा डूरंड रेखा के पास कई बिंदुओं को निशाना बनाया।

अफगानिस्तान में घूम रहे विशेष दूत, पाक ने कर दी स्ट्राइक

अफगान तालिबान के एक प्रवक्ता ने 25 दिसंबर को कहा था कि काबुल में विदेश मंत्रालय ने हवाई हमलों पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए पाकिस्तानी राजदूत को तलब किया। तालिबान ने यह भी बताया कि हमला तब किया गया जब अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष दूत मोहम्मद सादिक आधिकारिक वार्ता के लिए काबुल में थे। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी सेना की “अफगानिस्तान के खिलाफ आक्रामकता” संप्रभुता का उल्लंघन और “दोनों देशों के बीच संबंधों में अविश्वास पैदा करने का प्रयास” है।

भारत ने कहा- पड़ोसियों पर दोष मढ़ना पाक की आदत

इस बीच भारत ने हमले के तकरीबन एक हफ्ते बाद प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ”हमने महिलाओं और बच्चों सहित अफगान नागरिकों पर हवाई हमलों की मीडिया रिपोर्ट पर गौर किया है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई। हम निर्दोष नागरिकों पर किसी भी तरह के हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।” उन्होंने कहा, ”अपनी आंतरिक विफलताओं के लिए अपने पड़ोसियों को दोष देना पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है। हमने इस संबंध में एक अफगान प्रवक्ता की प्रतिक्रिया पर भी गौर किया है।”

पाकिस्तान की सफाई

पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि हवाई हमलों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को निशाना बनाया गया था, जो पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए अफगानिस्तान को आधार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में अनुमानित 6000 टीटीपी लड़ाके मौजूद हैं। तालिबान नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है और टीटीपी को पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा बताया। उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि पाकिस्तान ने लंबे समय से इस्लामी आंदोलनों का समर्थन किया है और उसे अपनी सीमाओं के भीतर ऐसे कार्यों के परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि दशकों तक अफगान तालिबान के प्रमुख तत्वों को समर्थन और आश्रय प्रदान करने वाले पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान ने यह मान लिया था कि अगस्त 2021 में काबुल में सत्ता संभालने के बाद तालिबान टीटीपी पर लगाम लगाने में मदद करेगा। हालांकि, तालिबान ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।

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