
BPSC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकारImage Credit source: Getty Images
बीपीएससी 70वीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि परीक्षा में धांधली हुई है, इसलिए इसे रद्द करके दोबारा परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी शिकायतें लेकर पहले पटना हाईकोर्ट जाएं.
सीजेआई ने कहा, ‘हम आपकी भावनाओं को समझते हैं, लेकिन हम प्रथम दृष्टया अदालत नहीं हो सकते हैं. हमें लगता है कि यही उचित होगा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए’.
याचिका में क्या था?
आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट की ओर से दायर की गई याचिका में बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में व्यापक धांधली का आरोप लगाया गया था और इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई थी. इसके अलावा बिहार की राजधानी पटना में प्रदर्शनकारी छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार जिले के एसपी और डीएम के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी.
ये भी पढ़ें
किस बात को लेकर है विरोध प्रदर्शन?
बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी. हालांकि परीक्षा के पेपर वितरण करने में कथित तौर पर 45 मिनट की देरी होने के कारण पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर अभ्यर्थियों ने हंगामा काट दिया. सीसीटीवी फुटेज में लोगों को परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र फाड़ते और दूसरे उम्मीदवारों से परीक्षा पत्र छीनते हुए दिखाया गया था. इसके बाद परीक्षार्थी बीपीएससी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे और परीक्षा रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की. इसी बीच बिहार पुलिस ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया.
ये मामला तब और गंभीर हो गया जब प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को समझाने के लिए पटना के डीएम आए और उन्होंने एक कैंडिडेट को थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद तो मामले ने तूल पकड़ लिया. अब तो जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी इस मामले में कूद गए हैं, जिसके बाद से मामला और गरमाया हुआ है.
ये भी पढ़ें: CAT 2024 रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?