Explained: प्लैटिनम के आगे फीकी पड़ी सोने-चांदी की चमक, तोड़ा 50 साल का रिकॉर्ड

Explained: प्लैटिनम के आगे फीकी पड़ी सोने-चांदी की चमक, तोड़ा 50 साल का रिकॉर्ड

प्‍लैटिनम की कीमतों में मौजूदा साल में 80 फीसदी से ज्‍यादा का इजाफा देखने को मिला है.

सोना और चांदी अपने पीक पर है. खास बात तो ये है कि इसमें लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. फिर चाहे विदेशी बाजारों में या फिर भारत के वायदा और स्पॉट मार्केट में. सोने और चांदी की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. रिपोर्ट के अनुसार सोने ने मौजूदा साल में 51 फीसदी से ज्यादा महंगा हो गया है, वहीं चांदी की कीमतों में 69 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. वहीं एक ऐसा मेटल भी है, जिसने अपनी तेजी का 50 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ डाला है. वास्तव में प्लैटिनम की कीमतों में साल 2025 में करीब 80 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जानकारों की मानें तो गोल्ड के महंगा होने की वजह से ज्वेलरी और इंडस्ट्रीयल डिमांड होने और सप्लाई में कमी आने से प्लैटिनम की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. खास बात तो ये है कि 80 फीसदी की तेजी आने के बाद भी प्लैटिनम की कीमतें अपने 2008 के पीक से करीब 28 फीसदी कम है.आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर प्लेटिनम को लेकर किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.

50 साल का टूटा रिकॉर्ड

जहां एक ओर गोल्ड और सिल्वर की कीमतों जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. वहीं कमाई कराने के मामले में प्लैटिनम दोनों से आगे निकल गया है. खास बात तो ये है कि मौजूदा साल में जितनी तेजी देखने को मिली है, उतनी तेजी करीब 50 साल पहले देखने को मिली थी. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा साल में प्लैटिनम की कीमत में 80 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका है. मौजूदा समय में प्लैटिनम की कीमत 1,637.75 डॉलर के साथ 52 हफ्तों के रिकॉर्ड लेवल पर है. जबकि पिछले साल के आखिरी कारोबारी दिन प्लैटिनम के दाम विदेशी बाजारों में 903.83 डॉलर प्रति ओंस थे. इसका मतलब है कि मौजूदा साल में प्लैटिनम की कीमतों में 733.92 डॉलर प्रति ओंस का इजाफा देखने को मिल चुका है.

नहीं टूटा 17 साल पुराना ये रिकॉर्ड

जहां एक ओर प्लैटिनम ने तेजी के मामले में 50 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया हो, लेकिन अपने रिकॉर्ड कीमतों का 17 साल पुराना रिकॉर्ड नहीं तोड़ सका है. आंकड़ों को देखें तो मई 2008 में प्लैटिनम ने 2,250 डॉलर प्रति ओंस का रिकॉर्ड कायम किया था. जो अभी तक नहीं टूटा सका है. मौजूदा समय में प्लैटिनम की कीमतें अपने 2008 के रिकॉर्ड हाई से करीब 27 फीसदी नीचे के लेवल पर कारोबार कर रही है. इसका एक कारण और भी है. बीते कुछ सालों से प्लैटिनम की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों को देखें तो 2023 और 2024 में, प्लैटिनम में हर साल 8 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि 2022 में इसमें मामूली 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी. जानकारों की मानें तो प्लैटिनम की कीमतें जिस रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है, उससे साफ है कि साल के अंत तक ये लेवल भी टूट सकता है. जिस तरह से डिमांड देखने को मिल रही है, उस हिसाब से मार्केट में सप्लाई काफी कम है.

सोना और चांदी की कीमत में कितना इजाफा

वहीं दूसरी ओर सोने और चांदी की कीमतों की बात करें तो मौजूदा साल में गोल्ड की कीमतों में 51 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. कॉमेक्स के स्पॉट मार्केट में गोल्ड की कीमतें 3,977.45 डॉलर प्रति ओंस पर पहुंच गई हैं. जोकि प्लैटिनम के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है. वहीं दूसरी ओर चांदी की कीमतों में 69 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. वैसे सोना और चांदी की कीमतों में बीते 50 सालों में कभी इतनी तेजी देखने को नहीं मिली है. मौजूदा समय में चांदी की कीमतें 49 डॉलर प्रति ओंस के करीब कारोबार कर रही हैं. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में सोना और चांदी की कीमतों में और इजाफा देखने को मिल सकता है.

प्रोडक्शन में लगातार गिरावट

पनेट्री मैक्रो के फाउंडर रितेश जैन मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में कहते हैं कि प्लैटिनम अभी सोने की बराबरी कर रहा है. कुछ समय पहले तक, प्लैटिनम सोने से भी महंगा था. अब सोने का कारोबार प्लैटिनम की कीमत से लगभग तीन गुना ज़्यादा हो रहा है. कंज्यूमर्स के सोने से दूर होने के कारण हम ज्वेलरी डिमांड में भी कमी देख रहे हैं. मौजूदा खदानों में प्रोडक्शन कम होने की वजह से सप्लाई सीमित बनी हुई है. मेटल्स में यह तेजी नीतिगत अनिश्चितता, महंगाई की आशंकाओं और अमेरिकी सरकार के बंद होने से उत्पन्न एक असहज वैश्विक पृष्ठभूमि को दर्शाती है. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के साथ, सुरक्षित निवेश की तलाश कर रहे निवेशकों के बीच कीमती धातुओं में तेजी देखने को मिल रही है.

सप्लाई में लगातार गिरावट

विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक दक्षिण अफ्रीका में सप्लाई में भारी व्यवधान के कारण प्लैटिनम की कीमतों में वृद्धि हुई है. देश को अत्यधिक वर्षा, बिजली कटौती और पानी की कमी का सामना करना पड़ा है, जिससे व्यस्त महीनों के दौरान प्रोडक्शन में साल-दर-साल 24 प्रतिशत की गिरावट आई है. लगातार कम निवेश और लगातार ऊर्जा संकट ने इस कमी को और बढ़ा दिया है. वर्ल्ड प्लैटिनम इंवेस्टमेंट काउंसिल के अनुसार, ग्लोबल मार्केट में 2025 में अनुमानित 8,50,000 औंस की कमी का सामना करना पड़ेगा – यह लगातार तीसरी वार्षिक कमी है – जो बाजार में लगातार तंगी के माहौल को दिखा रही है.

डिमांड में 300 फीसदी का इजाफा

अगर बात डिमांड की करें तो प्लैटिनम का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है. कैटेलिक कन्वर्टर्स और उभरती ग्रीन टक्नोलॉजीस सहित इंडस्ट्रीयल का कुल उपयोग में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान है. विशेषज्ञों ने कहा कि चीन ने सोने की तुलना में प्लैटिनम की भारी छूट का लाभ उठाते हुए, पहली तिमाही में आयात बढ़ाया है और ज्वेलरी प्रोडक्शन में 26 फीसदी का इजाफा किया है. ग्लोबल ट्रेड अनिश्चितताओं के बीच प्लैटिनम के कम वैल्यूएशन और स्टोरेज के कारण इंवेस्टमेंट डिमांड में साल-दर-साल लगभग 300 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. विशेषज्ञों ने कहा कि ऑटोमोटिव सेक्टर एक प्रमुख उपभोक्ता बना हुआ है, जबकि हाइड्रोजन इकोनॉमी में इस धातु की महत्वपूर्ण भूमिका – फ्यूल सेल्स और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन को पॉवर देना – इसे वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के केंद्र में रखती है.

प्लैटिनम की कीमतों में रह सकती है तेजी

चॉइस ब्रोकिंग की कमोडिटी रिसर्च एनालिस्ट कावेरी मोरे मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में कहा कि प्लैटिनम का भविष्य 2025 और उसके बाद भी मज़बूत बना रहेगा, और वार्षिक सप्लाई कमी 500,000 से 850,000 औंस के बीच रहने का अनुमान है. मोरे ने कहा कि हालांकि दक्षिण अफ़्रीका में सप्लाई धीरे-धीरे सुधर रही है, लेकिन गति धीमी है. तकनीकी चार्ट अब एलएमई पर 1,753 डॉलर का टारगेट बना रहे हैं, जो निरंतर मज़बूती का संकेत है.

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