
अश्विनी वैष्णव
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीक के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है. केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) को 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं. यह आंकड़ा योजना के शुरुआती लक्ष्यों से कहीं ज्यादा है और यह दिखाता है कि देश में अब बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्माण होने जा रहा है.
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इस योजना के तहत निवेश, उत्पादन और रोजगार के जो लक्ष्य तय किए गए थे, उनसे कई गुना ज्यादा प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि आवेदन की प्रक्रिया 30 सितंबर को बंद हुई और तब तक 1,15,351 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सरकार को मिल चुके थे.
लक्ष्य से दोगुना ज्यादा निवेश
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग पर केंद्रित है और पिछले 11 वर्षों में जो ट्रस्ट डेवलप हुआ है, वह आज निवेश, उत्पादन और रोजगार में बदल रहा है. हमने 59,350 करोड़ रुपये का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था, जबकि हमें 1,15,351 करोड़ रुपये के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं. 4,56,500 करोड़ रुपये के उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले, हमें 10,34,000 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पादन अनुमान प्राप्त हुए हैं, जो यह हमारे लक्ष्य से दोगुने से भी ज्यादा है.
रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई राह
इन प्रस्तावों से सिर्फ निवेश ही नहीं, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी खुलेंगे. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि हमने 91,600 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है, जबकि यहां अपेक्षित रोज़गार डेढ़ गुना यानी 1,41,000 लोगों को रोजगार मिलेगा.
देश के छोटे उद्योगों ने भी दिखाया दम
इस स्कीम की सबसे दिलचस्प बात यह है कि लगभग 60% आवेदन देश के छोटे और मझोले उद्योगों (MSME) से आए हैं. इसका मतलब है कि अब छोटे उद्योग भी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के बड़े खिलाड़ियों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं.
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कई कंपनियों ने डिजाइन की टीमें तैयार कर ली हैं और नए क्षेत्रों में निवेश की योजना बनाई है. पहली बार देश में एसएमडी पैसिव, फ्लेक्सिबल पीसीबी, लैमिनेट और पूंजीगत उपकरण जैसे क्षेत्रों में भी उत्पादन होने जा रहा है.