
5 साल में बदला लद्दाख!
लद्दाख, जहां कभी मोबाइल सिग्नल तक नहीं आता था, आज इंटरनेट से जुड़ चुका है. दूर-दराज के गांवों में अब लोग ऑनलाइन बातें कर रहे हैं, बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं, यहां तक कि प्रशासन भी डिजिटल तरीके से काम निपटा पा रहा है. केंद्र सरकार की भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत लद्दाख के सभी 193 ग्राम पंचायतों को सैटेलाइट इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है. यानी अब हर गांव में इंटरनेट की सुविधा मौजूद है. यहां तक कि जिन गांवों में मोबाइल टावर तक नहीं थे, वहां अब 175 नए मोबाइल टावर लगाए जा चुके हैं. अब लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों और सीमावर्ती इलाकों में भी मोबाइल सिग्नल पहुंच गया है. इसका सीधा फायदा उन लोगों को हो रहा है जो अब तक दुनिया से कटा महसूस करते थे.
खत्म हो गया लद्दाख का अंधेरा
लद्दाख में सर्दियों के मौसम में बिजली की सबसे ज्यादा परेशानी होती थी. बर्फबारी और ठंड के कारण यहां बिजली पहुंचाना हमेशा से चुनौती रहा है. लेकिन अब सरकार ने इस दिशा में भी बड़े कदम उठाए हैं.साल 2019 में सरकार ने श्रीनगर से लेह तक 335 किलोमीटर लंबी 220 किलोवोल्ट की ट्रांसमिशन लाइन शुरू की थी. जिसकी वजह से पिछले 5 सालों में लद्दाख में स्थाई रूप से बिजली पहुंचाई जा रही है.
अब सरकार नुब्रा और जांस्कर जैसे दुर्गम इलाकों को भी इस बिजली व्यवस्था से जोड़ने में जुटी है. इसके लिए नई 220 किलोवोल्ट की लाइनें बनाई जा रही हैं. साथ ही, हिम्मया से न्योमा और खारू से दुर्बुक तक 66 किलोवोल्ट की लाइनें भी बिछाई जा रही हैं. बॉर्डर के पास के गांवों में भी अब बिजली का ग्रिड पहुंच रहा है. खास तौर पर फ्यांग से डिस्किट (नुब्रा) और द्रास से पडुम (जांस्कर) तक दो नई ट्रांसमिशन लाइनें बनाई जा रही हैं, जिन्हें सरकार अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य रख रही है.
सूरज की रोशनी से चमक रहा लद्दाख
इसके अलावा लद्दाख को सरकार अब सोलर एनर्जी का हब बनाना चाहती है. यहां सौर ऊर्जा की बहुत संभावना है, क्योंकि सूरज की रोशनी भरपूर मिलती है. इसी को देखते हुए तरू इलाके में एक बड़ा सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसमें 25 मेगावॉट एसी सोलर प्लांट, 50 मेगावॉट पीक क्षमता, और 40 मेगावॉट आवर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) बनाया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के ज़रिए तैयार हो रहा है. जब ये काम पूरा होगा, तो लद्दाख अपनी ऊर्जा ज़रूरतें खुद पूरी कर पाएगा और बाकी देश को भी ग्रीन एनर्जी दे सकेगा. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और इलाके में रोज़गार
लद्दाख में छोटे कारोबार को मिला फायदा
बीते 5 सालों में लद्दाख में छोटे और मध्यम उद्योग (MSME) तेजी से बढ़े हैं. अब तक 18,500 से ज्यादा कारोबार पंजीकृत हो चुके हैं, जो 54,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं. सरकार की मदद से लोगों को आसान कर्ज और योजनाओं का सहारा मिल रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ी है. बीते कुछ सालों में करीब 10,000 लोगों ने खादी ग्रामोद्योग योजना और प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम से अपना काम शुरू किया है. इससे न सिर्फ खुद को रोजगार मिला, बल्कि दूसरों को भी काम देने का मौका मिला. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 4,000 से ज्यादा पारंपरिक कारीगरों को 3 लाख रुपये तक का कर्ज, टूलकिट और हुनर बढ़ाने की ट्रेनिंग मिली है. इससे पुराने हुनर फिर से जिंदा हो रहे