
चुनाव आयोग.
चुनाव आयोग (ईसी) ने पिछले छह सालों में चुनाव न लड़ने और कई नियमों का उल्लंघन करने की वजह से 474 और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को सूची से हटा दिया है. 9 अगस्त को पहले चरण में चुनाव आयोग ने 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटाया था.
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दूसरे चरण में चुनाव आयोग की ओर से 474 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाने का निर्णय किया गया. ये राजनीतिक दल 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ रहे थे. इस प्रकार, पिछले 2 महीनों में 808 ऐसे राजनीतिक दलों को सूची से हटाया गया है.
चुनाव आयोग की ओर से राजनीतिक दलों के पंजीकरण के दिशानिर्देशों में कहा गया कि यदि कोई राजनीतिक पार्टी लगातार छह सालों तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसे पंजीकृत राजनीतिक पार्टी की सूची से हटा दिया जाएगा.
निष्क्रिय दलों पर गिरी गाज
हाल तक आरयूपीपी की संख्या 2,520 थी. सूची से हटाने की प्रक्रिया के बाद यह 2,046 रह गई है. इसके अलावा, छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल और 67 राज्य स्तरीय राजनीतिक पार्टी हैं.
पिछले दो महीनों में इस सूची से हटाए गए 808 आरयूपीपी राजनीतिक दलों में से 14 बिहार के हैं. बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं.
इसके अलावा, 359 आरयूपीपी की पहचान की गई है. ये पिछले तीन वित्तीय वर्षों – 2021-22, 2022-23 और 2023-24 – में निर्धारित समय सीमा के भीतर वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किये हैं और चुनाव लड़ने के बावजूद चुनाव व्यय रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है. ये राजनीतिक पार्टियों 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं.
बिहार चुनाव से पहले ECI का फैसला
अधिकारियों ने बताया कि साल 2001 से चुनाव आयोग ने निष्क्रिय आरयूपीपी को “तीन से चार” बार हटाने की प्रक्रिया अपनाई है. सर्वोच्च न्यायालय ने पहले चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों की “मान्यता रद्द” करने से रोक दिया था, यह देखते हुए कि ऐसा कानून में निर्धारित नहीं है। देश में राजनीतिक दल (राष्ट्रीय, राज्य और आरयूपीपी) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों के तहत चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं.
इस प्रावधान के तहत, एक बार राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत होने के बाद, किसी भी संघ को कर छूट जैसे कुछ विशेषाधिकार और लाभ मिलते हैं. यह कदम बिहार चुनाव से पहले उठाया गया है. सूची से हटाई गई पार्टियां चुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकेंगी.