डॉक्टर ने आंख के ऑपरेशन में छोड़े लैंस के टुकड़े, अब मरीज को देने होंगे 1 लाख रु

ग्वालियर उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला

ग्वालियर जिला उपभोक्ता फोरम ने एक डॉक्टर की लापरवाही के मामले में अहम फैसला सुनाया है। एक मरीज की आंख की रोशनी कम हो जाने पर फोरम ने डॉक्टर को दोषी मानते हुए एक लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। दरअसल, डॉक्टर की लापरवाही से लेंस के टुकड़े मरीज की आंख के अंदर ही रह गए थे, जिससे मरीज ने इस संबंध में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने कहा कि इलाज के दौरान आवश्यक सतर्कता न बरतने और तथ्यों को छिपाने के कारण मरीज को शारीरिक, मानसिक और

मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद नहीं आई रोशनी

2021 में कराया था ऑपरेशनः शहर के थाटीपुर निवासी 77 वर्षीय चतुर्भुज गुप्ता को मोतियाबिंद की समस्या थी। उन्होंने मार्च 2021 में कन्हैयालाल विनोद कुमार मेमोरियल आई हॉस्पिटल में अपनी आंख की जांच कराई थी। जेएएच के पूर्व चिकित्सक डॉ. राकेश गुप्ता ने उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी। 9 मार्च 2021 को ऑपरेशन किया गया, लेकिन सर्जरी के बाद भी

आंख के अंदर रह गए लेंस के टुकड़े

मरीज को साफ दिखाई नहीं दे रहा था। आगे की जांच में पता चला कि ऑपरेशन के दौरान लेंस इम्प्लांट करते समय लापरवाही बरती गई थी, जिससे पोस्टेरियर कैप्सूल रिप्चर हो गया। इसके बावजूद डॉक्टर ने यह तथ्य मरीज से छिपा लिया और उचित उपचार नहीं दिया। 15 दिन बाद भी जब सुधार नहीं हुआ, तो दूसरी जांच में पाया गया कि लेंस के कुछ टुकड़े आंख के अंदर ही रह गए, जिससे

उपभोक्ता फोरम ने डॉक्टर को दोषी ठहराया गया

उपभोक्ता फोरम का निर्णयः आयोग ने डॉक्टर की ओर से दिए गए तकों को खारिज करते हुए कहा कि डॉक्टर यह साबित नहीं कर सके कि मरीज को ऑपरेशन से पहले जोखिमों की जानकारी दी गई थी या उसकी लिखित सहमति ली गई थी। मरीज को समय पर अन्य विशेषज्ञ के पास रेफर न करना और तथ्य छिपाना स्पष्ट लापरवाही है। इसलिए आयोग ने डॉक्टर को कहीं से भी राहत न देते हुए दोषी करार दिया। उपभोक्ता फोरम ने कहा, डॉक्टर को मरीज को एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति 45 दिनों के भीतर देना होगा। राशि देने में देरी होने पर 6% वार्षिक ब्याज देना होगा। मरीज को मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 और वाद व्यय के लिए 1,000 भी अदा करने होंगे।

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