
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो जीवन रक्षक दवाओं के नाम पर सफेद चूरन से बनी नकली टैबलेट और कैप्सूल बेचता था। गिरोह ने जॉनसन एंड जॉनसन, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और एल्केम जैसी प्रमुख दवा कंपनियों के ब्रांड नामों का गलत उपयोग कर नकली दवाएं सप्लाई कीं। पुलिस ने गिरोह के सरगना सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
गिरोह का नेटवर्क और कारोबार
यह गिरोह पिछले छह वर्षों से दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के मेडिकल स्टोर्स को नकली दवाएं सप्लाई कर रहा था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने लगभग एक लाख नकली टैबलेट और कैप्सूल जब्त किए। आरोपियों के मोबाइल फोन से ‘कोमल जी करनाल’, ‘अमित जैन स्किनशाइन दिल्ली’, ‘पप्पी भैया जीकेपी’ जैसे कोड नाम मिले, जिससे यह पता चला कि वे नेटवर्क छिपाने की कोशिश कर रहे थे।
हरियाणा के जींद और हिमाचल प्रदेश के बद्दी में पुलिस ने दो गुप्त फैक्ट्रियों का पता लगाया, जहां अल्ट्रासेट, ऑगमेंटिन 625, पैन-40, बेटनोवेट-एन स्किन क्रीम जैसी नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। गिरोह के एक सदस्य परमानंद जींद में ‘लक्ष्मी मां फार्मा’ नामक अनाधिकृत यूनिट चलाता था।
आरोपियों के नाम और भूमिका
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में राजेश मिश्रा (52, मास्टरमाइंड), परमानंद (50), मोहम्मद आलम (35), मोहम्मद सलीम (42), मोहम्मद जुवैर (29) और प्रेम शंकर प्रजापति (25) शामिल हैं। पुलिस पूछताछ में ये सभी आपस में नेटवर्क के ज़रिए जुड़े हुए हैं, जिसमें सप्लाई, पैकेजिंग, उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारियां विभाजित थीं।
गिरफ्तारी कैसे हुई?
30 जुलाई को पुलिस को सूचना मिली थी कि नकली दवाओं की बड़ी खेप दिल्ली में आने वाली है। सिविल लाइंस के एक पेट्रोल पंप पर कार को रोका गया, जिसमें मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम सवार थे। उनके कब्जे से भारी मात्रा में नकली दवाएं बरामद हुईं। विशेषज्ञों ने जांच कर इसकी नकल होने की पुष्टि की।
जब्त की गई नकली दवाओं की बड़ी खेप
पुलिस ने हजारों गोलियों और कैप्सूल के साथ-साथ नकली ब्रांडेड पैकिंग सामग्री भी जब्त की है, जिनमें शामिल हैं:
- अल्ट्रासेट: 9,015 गोलियां
- ऑगमेंटिन 625: 6,100 गोलियां
- पैन-40: 1,200 गोलियां
- बेटनोवेट-एन क्रीम: 1,166 ट्यूबें
- एमोक्सिसिलिन: 25,650 गोलियां
- पीसीएम: 5,900 गोलियां
- पैन-डीएसआर: 2,700 गोलियां
- स्टेरॉयड इंजेक्शन कैनाकोर्ट: 74 डिब्बे
- प्रोयको स्पास: 12,000 गोलियां
- साथ ही पैकिंग मशीन, खाली डिब्बे, और 150 किलो खुली गोली भी बरामद हुई।
स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा
डीसीपी (क्राइम) हर्ष इंदौरा ने कहा कि यह नकली दवाएं लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। ये दवाएं इन्फेक्शन, दर्द और कई बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती हैं, लेकिन नकली होने के कारण मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। पुलिस अब इस गिरोह के कच्चे माल के स्रोत और वित्तीय लेन-देन की जांच में जुटी है तथा और गिरफ्तारियों की संभावना भी जताई गई है।
यह मामला मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बड़े अलर्ट की तरह है और नकली दवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत को दर्शाता है। जनता से भी अपील की जाती है कि वे केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाएं लें ताकि मूर्त और अमूर्त दोनों तरह के नुकसान से बचा जा सके।