तिहाड़ जेल में जबरन वसूली रैकेट पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, 2 हफ्ते में जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश

तिहाड़ जेल में जबरन वसूली रैकेट पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, 2 हफ्ते में जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को तिहाड़ जेल में जबरन वसूली रैकेट पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग को अनुशासनात्मक जांच जल्द पूरी करने के और जबरन वसूली रैकेट चलाने में कथित रूप से शामिल जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सतर्कता विभाग को 2 सप्ताह के भीतर एक जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने यह आदेश तब पारित किया जब दिल्ली सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने कोर्ट को सूचित किया कि वह सतर्कता विभाग के साथ इस मामले को आगे बढ़ाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जांच करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति हो और जांच जल्द से जल्द पूरी हो. कोर्ट ने आदेश दिया कि अधिकारी की नियुक्ति के बाद, आरोपपत्र तैयार करने, उसकी मंज़ूरी और निष्कर्ष जैसी आवश्यक औपचारिकताएं भी इसी कम समय में पूरी कर ली जाएंगी.

7 जनवरी को फिर से होगी सुनावई

कोर्ट ने कहा कि वह 7 जनवरी, 2026 को मामले की फिर से सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक दिल्ली सरकार को स्टेटस का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.

कोर्ट ने कहा कि CBI आपराधिक कार्यवाही में प्रगति के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल करेगी. कोर्ट ने यह आदेश तिहाड़ जेल में कथित अवैधताओं, कदाचार और दुर्व्यवहार के बारे में चिंता जताने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

CBI जांच का दिया आदेश

याचिका में आरोप लगाया गया था कि जेल के अंदर कैदियों की मदद से और जेल अधिकारियों की मिलीभगत से जबरन वसूली का रैकेट चलाया जा रहा है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट ने पहले एक न्यायिक अधिकारी को जेल का दौरा करने और जांच करने के लिए कहा था. रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गई. कोर्ट ने रिपोर्ट की जांच के बाद, CBI जांच का आदेश दिया. इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जेल अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने का भी निर्देश दिया.

28 अक्टूबर को जब इस मामले की सुनवाई हुई, तो दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को उसके “उदासीन रवैये” के लिए फटकार लगाई और कहा कि वह निलंबित तिहाड़ जेल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में विफल रही है. इसके बाद कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को तलब किया.

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