Death in Panchak: पंचक के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या करना चाहिए?

Death in Panchak: पंचक के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या करना चाहिए?

पंचक में मृत्यु

Death in Panchak Remedies: पंचक, धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध से शुरू होकर रेवती नक्षत्र तक के पांच दिनों को कहा जाता है. पंचक के इन पांच दिनों में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना गया है. पंचक काल को ज्योतिष की दृष्टि से अशुभ अवधि माना गया है, जिसमें बहुत से कार्य वर्जित माने गए हैं. अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर क्या होता है और पंचक में मृत्यु होने पर क्या करना चाहिए. चलिए हम आपको बताते हैं.

पंचक में मृत्यु दोष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक में किसी व्यक्ति की मृत्यु होना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान लकड़ी से संबंधित कार्य करना वर्जित होता है. पंचक में दाह संस्कार करना भी नहीं किया जाता है. गरुड़ पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि पंचक में मृत्यु पूरे कुल या परिवार को प्रभावित कर सकती है. गरुड़पुराण की मानें तो पंचक में हुई मृत्यु को सामान्य नहीं माना जाता है और इससे आत्मा पर भी इसका विशेष प्रभाव पड़ता है.

पंचक में मृत्यु होने से क्या होता है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, पंचक में मृत्यु होने पर परिवार में पांच और लोगों की मृत्यु या कष्ट होने की आशंका बनी रहती है. पंचक में मृत्यु होने पर लगने वाले दोष को समाप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में उपाय बताए गए हैं.

जनहानि की आशंका:- पंचक में किसी की मृत्यु को अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह परिवार में आगे चलकर पांच अन्य लोगों की मृत्यु या उनके जीवन में किसी प्रकार के कष्ट की आशंका पैदा करता है, जिसका गरुड़ पुराण में भी उल्लेख मिलता है.

आत्मा की सद्गति में बाधा:- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचक में मृत्यु होने पर आत्मा को सीधे उच्च लोकों में सद्गति नहीं मिलती है और उसकी यात्रा में बाधा आ सकती है.

पंचक में मृत्यु होने पर क्या करना चाहिए

पंचक दोष निवारण:- पंचक काल में मृत्यु होने पर परिवार पर अशुभ प्रभाव न पड़े, इसके लिए दाह संस्कार करते समय शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाए जाते हैं और उनका भी शव के साथ विधिवत दाह संस्कार किया जाता है.

शांति विधान:- पंचक दोष से बचने के लिए सपिंडी के दिन तिल, स्वर्ण, चांदी और घृत से भरा कांस्य पात्र दान करने का विधान भी होता है.

पंचक शांति पूजा:- पंचक में मृत्यु दोष को शांत करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

मंत्र जाप और दान:- पंचक में मृत्यु होने पर गायत्री मंत्र का जाप और धार्मिक अनुष्ठान करना भी सहायक होता है.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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