CM ने किया ऐलान आज से 10 दिन की छुट्टी का ऐलान! जानिए क्यों बंद रहेंगे स्कूल

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान किया। राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 8 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक छुट्टी रहेगी। यह फैसला चल रही सामाजिक और शैक्षिक सर्वे, जिसे ‘जाति सर्वे’ के नाम से जाना जाता है, को पूरा करने के लिए लिया गया है। इस सर्वे में शामिल शिक्षकों को अपना काम पूरा करने का समय मिलेगा। हालांकि, मध्यावधि परीक्षाओं में व्यस्त शिक्षकों को इस सर्वे से छूट दी गई है।

सर्वे में देरी, इसलिए बढ़ा समय

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह सर्वे मंगलवार को पूरा होना था, लेकिन कई जिलों में काम पिछड़ गया। कैबिनेट सहयोगियों और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, सिद्धारमैया ने सर्वे को 10 दिन और बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हमारा लक्ष्य 7 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करना था। कुछ जिलों में सर्वे लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन कुछ जगहों पर काम काफी पीछे है।”

उदाहरण के लिए, कोप्पल जिले में 97% सर्वे पूरा हो चुका है, जबकि उडुपी में 63% और दक्षिण कन्नड़ में 60% काम हुआ है। पूरे राज्य में सर्वे उम्मीद के मुताबिक पूरा नहीं हो सका।

सर्वे में जान गंवाने वालों को मुआवजा

मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि सर्वे के दौरान जान गंवाने वाले तीन कर्मचारियों के परिवारों को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह कदम सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

कर्नाटक का ‘जाति सर्वे’: क्या है खास?

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के अनुसार, इस सर्वे में करीब 1.75 लाख गणनाकर्ता, जिनमें ज्यादातर सरकारी स्कूलों के शिक्षक हैं, शामिल हैं। यह सर्वे पूरे राज्य में लगभग 2 करोड़ परिवारों के 7 करोड़ लोगों को कवर करेगा।

इस सर्वे का खर्च करीब 420 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अधिकारियों के मुताबिक, यह सर्वे “वैज्ञानिक तरीके” से किया जा रहा है, जिसमें 60 सवालों वाला एक प्रश्नावली तैयार की गई है। इस सर्वे का रिपोर्ट दिसंबर के अंत तक सरकार को सौंपा जाएगा।

कैसे होगा डेटा कलेक्शन?

सर्वे के दौरान हर परिवार को बिजली मीटर नंबर के आधार पर जियो-टैग किया जाएगा और उन्हें एक यूनिक हाउसहोल्ड आईडी (UHID) दी जाएगी। डेटा कलेक्शन के दौरान राशन कार्ड और आधार डिटेल्स को मोबाइल नंबर से जोड़ा जाएगा। अगर कोई सर्वे के दौरान घर पर नहीं मिलता या कोई शिकायत होती है, तो इसके लिए एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर (8050770004) शुरू किया गया है। नागरिक ऑनलाइन भी इस सर्वे में हिस्सा ले सकते हैं।

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