
जोड़ों के दर्द की बायोलॉजिकल थेरेपीImage Credit source: musmus culus/DigitalVision Vectors/Getty Images
Biological Therapy: जोड़ों का दर्द एक ऐसी समस्या है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है, उनके दैनिक जीवन और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. उपचार के विकल्पों की सूची में, प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थेरेपी एक संभावित समाधान के रूप में उभरी है, जिसने प्रदाता और रोगी दोनों का ध्यान आकर्षित किया है. पीआरपी थेरेपी जोड़ों के दर्द और चोटों को ठीक करने के लिए शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमताओं का उपयोग करती है.
जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है जो बढ़ती उम्र, चोट या लंबे समय तक गलत तरीके से चलने-बैठने की वजह से घुटनों के जोड़ जल्दी खराब हो जाते हैं. लेकिन अब एक्सपर्ट्स एक नई उम्मीद की बात कर रहे हैं बायोलॉजिकल थेरेपी. दवाओं के भंडार और फिजियेरेपी, सर्जरी की बजाय अब पीआरपी थेरेपी जोड़ों के दर्द में बिना किसी सर्जरी के राहत देती है. कहा जा रहा है कि इस थेरेपी से घिसा हुआ कार्टिलेज दोबारा बन सकता है और घुटने अपनी पुरानी ताक़त वापस पा सकते हैं. सवाल यह है कि यह सच में कितना असरदार है और क्या हर मरीज के लिए यह इलाज सही रहेगा?
पीआरपी थेरेपी क्या है?
मैक्स अस्पताल में आर्थोपैडिक विभाग में यूनिट हेड डॉ. अखिलेश यादव बताते हैं किपीआरपी थेरेपी का मतलब है कि शरीर के अंगों के की ही मदद से इलाज करना. नेचुरल हीलिंग से ही जोड़ों के दर्द का इलाज किया जाता है. सबसे पहले इसमें मरीज से थोड़ा रक्त लेकर उसे सेंट्रीफ्यूज में डालकर उसमें प्लेटलेट्स और ग्रोथ फैक्टर को अलग किया जाता है. इस कंसंट्रेट पीआरपी घोल को सीधे प्रभावित जोड़ पर जाता है. इससे जोड़ का दर्द कम होता है, सूजन घटती है और जोड़ों की मरम्मत तेज होती है.
पीआरपी थेरेपी कैसे काम करती है?
प्लेटलेट्स का काम खून जमने और घाव भरने के लिए होते हैं, लेकिन इनमें ग्रोथ फैक्टर्स भी होते हैं जो जोड़ों और टिश्यूज की मरम्मत करते हैं. कोशिकाओं के फिर से बनने की प्रक्रिया तो तेज कर देते हैं. इससे दर्द कम होता है, जोड़ों की मूवमेंट बेहतर होती है और मरीज को जल्दी आराम मिलता है.
क्या यह जोड़ के दर्द में कारगर है?
एक्सपर्ट बताते हैं कि हल्के और मध्यम ऑस्टियोआर्थराइटिस में पीआरपी थेरेपी कारगर हो सकती है. कई मामलों में देखा गया है कि मरीजों ने इस थेरेपी के बाद दर्द कम होने की बात कही. जोड़ों के कार्यक्षमता में सुधार भी पाया गया. इसके अलावा पीआरपी के साइड इफेक्ट्स भी बहुत कम होते हैं, क्योंकि इसमें शरीर का अपना ही खून इस्तेमाल किया जाता है.
पीआरपी थेरेपी के फायदे
सर्जरी की जरूरत नहीं
साइड इफेक्ट्स बहुत कम
मरीज अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को आराम से कर सकते हैं.
कुछ मामलों में इसका असर लंबे समय तक बना रहता है.
घिसे हुए जोड़ फिर से काम करने लगते हैं.
इसे अपनाने से पहले डॉक्टर से पूरी सलाह लेना बहुत जरूरी है.