
कोविड 19 ने कर दिया बर्बाद
दरअसल कोविड 19 ने जेन जेड को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। इन सभी को नया स्वरूप दे दिया गया। इस सब समुंदर में जेन जेड ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा। जेन जेड एक ऐसी पीढ़ी है जो सोशल मीडिया साइट्स के जरिए बाहरी दुनिया से गहराई से जुड़ी हुई है। वे इन साइट्स पर बहुत विदेशी दिखने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया पर ज्यादातर जेन जेड की शिकायत है कि उन्हें ज्यादातर उनकी उम्र ही उम्र का मतलब बताया जाता है।
जल्दी बुढ़ापा आने के क्या कारण हैं?
जेनरेशन जेड के लोग समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं तो इसका सबसे बड़ा कारण कॉर्टिसोल हार्मोन है। कॉर्टिसोल हार्मोन का मतलब है स्ट्रेस हार्मोन। जेनरेशन जेड के लोग हर तरह से परेशान हैं और तनाव उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। सबसे पहले उन्हें पढ़ाई का तनाव होता है। हर कोई हर किसी से आगे निकलना चाहता है। इसके बाद करियर की चिंता होती है। नौकरी मिलने के बाद नौकरी में अस्थिरता सबसे बड़ी समस्या होती है। फिर सोशल एंग्जाइटी भी होती है सोशल मीडिया के बाहर उनकी पहुंच बहुत सीमित होती है। जेनरेशन जेड के ज्यादातर बच्चे इसलिए भी परेशान रहते हैं क्योंकि सोशल मीडिया पर उनके ज्यादा फॉलोअर्स नहीं होते। इन सबके चलते वे हमेशा तनाव में रहते हैं।
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कॉर्टिसोल असली खलनायक है
तनाव के कारण शरीर में कॉर्टिसोल हॉरमोन बहुत अधिक मात्रा में निकलता है। कॉर्टिसोल का लगातार निकलना पूरे सिस्टम के लिए बहुत हानिकारक है। कॉर्टिसोल का उच्च स्तर वजन बढ़ने नींद की समस्या कमजोर प्रतिरक्षा खराब खान-पान और इन लोगों की बहुत कम शारीरिक गतिविधि का कारण बनता है। इन सबके कारण गुणसूत्रों में मौजूद टेलोमेरेस सिकुड़ने लगते हैं। टेलोमेरेस व्यक्ति की आयु की कुंडली होती है। अगर टेलोमेरेस की लंबाई अधिक है तो वह व्यक्ति अधिक समय तक जीवित रहेगा। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ टेलोमेरेस सिकुड़ने लगते हैं। लेकिन कॉर्टिसोल हॉरमोन के लगातार निकलने के कारण टेलोमेरेस सिकुड़ते रहते हैं जिसका असर चेहरे पर झुर्रियों के रूप में सामने आता है।
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