
नेटफ्लिक्स सीरीज बैड्स ऑफ बॉलीवुड
कहावत पुरानी है, जिस थाली में खाया उसी में छेद किया. इसे दूसरे शब्दों में सीधे-सीधे नमकहराम भी कहा गया है. लेकिन जो शख्स ऐसा कर पाता है वह या तो दिलेर है या फिर दिमागी तौर पर दिवालिया होता है. बहुत कुछ परिस्थितियों पर निर्भर करता है. कौन दिलेर है और कौन दिवालिया. शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के डेब्यू प्रोजेक्ट बैड्स ऑफ बॉलीवुड को नेटफ्लिक्स पर देखने के बाद मन में पहला विचार यही बनता है. जब से इसकी प्रमोशनल झलक आई और फिर पूरी सीरीज, तभी से इसे बॉलीवुड का आईना बताया जा रहा है. लेकिन अहम सवाल ये हो जाता है कि जिस इंडस्ट्री में सुपरस्टार शाहरुख खान ने तकरीबन पैंतीस साल बिताये, देश और दुनिया में शोहरत की बुलंदियों को छुआ, उसी इंडस्ट्री को उनके बेटे ने टारगेट क्यों किया? क्या हैं बैड्स ऑफ बॉलीवुड के बोल्ड फैक्टर?
किसी भी सीरीज के लिए एक कहानी की जरूरत होती है, लिहाजा यहां भी एक कहानी दिखाई गई है. कहानी में एक लड़का हीरो होता है, एक लड़की हीरोइन होती है. हीरो आउटसाइडर है. हीरोइन इंडस्ट्री में बड़े बाप की बेटी है. बड़ा आदमी हीरो को पसंद नहीं करता है. हीरो स्ट्रगल करता है. उसके घर में मां या पिता बीमार हैं. उसे पैसों की सख्त जरूरत है. हीरो को कदम-कदम पर ठोकरें खानी पड़ती हैं. उसके बहुत सारी नाइंसाफियां होती हैं. विलेन उसे आगे बढ़ने से रोकता है. हीरोइन की शादी उसके घर वाले दूसरी जगह कर देना चाहते हैं वगैरह वगैरह…
मामूली-सी स्टोरीलाइन में बड़ा धमाका
हिंदी की किसी भी फॉर्मूला फिल्म की ये बहुत ही सतही कहानी है, और यही बैड्स ऑफ बॉलीवुड की भी स्टोरीलाइन है. लेकिन असली खेल इसी मामूली-सी स्टोरीलाइन के फैंटेसिक विन्यास में है. पर्दे के पीछे की दुनिया कितनी पतित और यहां के लोग कितने पागल मिजाज हैं, इसकी बखिया उधेड़ कर कर दी गई है. पहले ही प्रोजेक्ट में इस लिहाज से आर्यन ने बहुत ही दिलेरी से काम कर दिखाया है.
हालांकि यह सवाल उठा सकते हैं कि अगर कोई मामूली हस्ती वाला प्रोड्यूसर या बाहरी डायरेक्टर ने ऐसी चोट की होती तो पूरी इंडस्ट्री उसके खिलाफ खड़ी हो गई होती लेकिन आर्यन तो शाहरुख खान के बेटे हैं. बादशाह के बेटे. अगर उन्होंने अपनी सीरीज में दूसरों की छोड़िये अपने पिता के लिए भी ‘घंटे का बादशाह’ जैसे डायलॉग का इस्तेमाल किया है तो दिलेरी के ग्राफ को समझा जा सकता है.
सीरीज पेशकश में आर्यन का रुतवा दिखता है
सीरीज में नेपोटिज्म का भी मुद्दा है लेकिन इसकी पेशकश में आर्यन का रुतवा भी साफ तौर पर बोलता है. बॉलीवुड के तमाम बड़े चेहरों के कैमियो का मसाला मिक्स है. बॉबी देओल तो अहम किरदारों में हैं लेकिन उनके अलावा खुद शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, एसएस राजामौली, करन जौहर, रणवीर कपूर, सिद्धांत चतुर्वेदी, सारा अली खान, सनाया कपूर, बादशाह, अरशद वारसी, इमरान हाशमी, दिशा पाटनी, अर्जुन कपूर, राजकुमार राव जैसे कई सितारे आते हैं और झलकियां पेश कर करके चले जाते हैं.
मुख्य हीरो लक्ष्य लालवानी बतौर स्ट्रगलर आउटसाइडर कलाकार आसमान सिंह है तो बॉबी देओल हीरोइन करिश्मा तलवार (सहर बांबा) के पिता अजय तलवार बने हैं. इनके अलावा प्रमुख किरदारों में राघव जुयाल, अन्या सिंह, मनोज पाहवा, मनीष चौधरी, रजत बेदी, मेहरजान माजदा, दिविक शर्मा, मोना सिंह, गौतमी कपूर, विजयंत कोहली, नेविल भरूचा, रोहित गिल और अरमान खेरा हैं. इन सभी कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिका को बेहतरीन अंदाज दिया है.
ड्रग्स, नेपोटिज्म, ब्लैक मनी, अंडरवर्ल्ड, अवैध संबंध
सात भागों में बैड्स ऑफ बॉलीवुड सीरीज की पूरी कहानी इन्हीं किरदारों के ईर्द-गिर्द घूमती है. इस दौरान इंडस्ट्री के अंदर ड्रग्स रैकेट, नेपोटिज्म, ब्लैक मनी और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन से लेकर नाजायज़ संबंधों तक की परतों को खोलकर रख दिया गया है. आम तौर पर फिल्मी पत्र पत्रिकाओं में सितारों के बारे में छपने वाली पर्दे के पीछे की कहानियों को गॉसिप्स कहा जाता है लेकिन यहां गॉसिप्स के वे कथित प्रसंग कैरेक्टर बन कर चीख रहे हैं. स्टार फैमिली के अंदर नैतिकता का कोई भेद नहीं है.
डायरेक्टर और राइटर ने इसे परंपरागत सोच और सांचे से बिल्कुल अलग गढ़ा है. यह सटायर का चाबुक है. हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल जीने वालों को स्क्रीन पर देखकर, मीडिया में उनके बारे में पढ़कर आमलोग चाहे जो भी अनुमान लगा लेते हों लेकिन सीरीज बताती है रियल लाइफ में ये लोग कितने विद्रूप और अश्लील हैं. रेड कारपेट पर चलने वाले भी आम जिंदगी में कितनी घिनौनी गालियां बक सकते हैं इसका अनुमान भी नहीं लगा सकते. इन्हें एक-दूसरे के खिलाफ साजिश और हत्या से भी इन्हें कोई परहेज नहीं.
इंडस्ट्री की इनसाइड बुराइयां एक्सपोज्ड
सीरीज देखते हुए कई बार आप गुस्सा हो सकते हैं लेकिन इसे देखना नहीं छोड़ सकते. इंडस्ट्री की इनसाइड बुराइयों को एक्सपोज करने का काल्पनिक अफर्ट चौंकाने वाला जरूर लगता हो लेकिन यह अभी आधा अधूरा ही माना जाएगा. करीब सवा सौ साल की जमी जमाई फिल्म इंडस्ट्री की मात्र इतनी ही सचाई नहीं. यहां जितनी पॉजिटिविटी भरी है यकीनन उतनी ही निगेटिविटी भी. कोई रातों-रात सुपरस्टार बन जाता है, फिर किसी सुपरस्टार की जिंदगी बर्बाद कर दी जाती है, कोई सालों साल धक्के खाकर भी सक्सेस का मौका हासिल नहीं कर पाता.
इसमें केवल पर्दे पर अभिनय करने वाले अभिनेता-अभिनेत्री नहीं बल्कि गायक कलाकार से लेकर स्क्रीप्ट राइटर तक शामिल हैं. एक फिल्म बनाने के लिए, फिल्म की कंपनी खड़ी करने के लिए जितने पेशेवरों की जरूरत होती है, वे सब यहां अपनी-अपनी सचाइयों के साथ उजागर हुए हैं. बैड्स ऑफ बॉलीवुड में ये सारे फैक्टर्स हैं. आर्यन खान ने इसका बोल्ड और फैंटेसिक फिल्मांकन करके नई जेनेरेशन को इसकी तस्वीर दिखाई है. आर्यन खान का अब अगला कदम क्या होगा, इसकी प्रतिक्षा रहेगी.
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