
आगरा। फिरोजाबाद में चचेरी बहनों ने पटरी के बीच हाथ थामकर खुदकुशी कर ली। लोको पायलट हॉर्न बजाता रहा, फिर भी दोनों पटरी से हटीं नहीं। दोनों घर से किसी बात पर नाराज होकर निकली थीं। एक कक्षा 12 और दूसरी 11 में पढ़ती थी।
फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में किसी बात पर घर से नाराज होकर निकलीं गांव जेवड़ा की दो चचेरी बहनों ने मंगलवार सुबह ट्रेन के आगे आकर जान दे दी। दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा था।
लोको पायलट हॉर्न बजाता रहा लेकिन उन्होंने हाथ नहीं छोड़ा। मृतका रश्मि यादव (18) कक्षा 12 और मुस्कान (17) 11वीं की छात्रा थी। मौके पर पहुंची जीआरपी ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया।
दोनों बहनें मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे घर से निकलीं। दोनों के बीच गहरा लगाव था। गांव के पास ही स्थित दिल्ली-हावड़ा रेल ट्रैक पर दोनों एक-दूसरे का हाथकर चल रही थीं। इसी बीच कालका से हावड़ा जा रही नेताजी एक्सप्रेस (12312) आ गई।
लोको पायलट ने दूर से दोनों को देख लिया और हॉर्न बजाना शुरू कर दिया। कई बार हॉर्न बजाने के बाद भी दोनों ट्रैक से नहीं हटीं। ट्रेन जैसे ही डाउन ट्रैक पर किलोमीटर संख्या 1222/12-10 के पास पहुंची तो दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे ट्रेन से टकरा गईं।
मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। लोको पायलट ने तत्काल मुख्य नियंत्रण कक्ष टूंडला को मामले की सूचना दी। इसके बाद आरपीएफ-जीआरपी की टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों की भी भीड़ जुट गई।
घर से किसी बात पर नाराज होकर निकली थीं दोनों
जीआरपी ने मृतका रश्मि यादव के भाई मोहित यादव से पूछताछ के बाद शवों की शिनाख्त की। जीआरपी शिकोहाबाद चौकी प्रभारी हरीश कुमार यादव ने बताया कि दोनों बहनें घर से किसी बात से नाराज होकर निकली थीं।
आत्महत्या की गुत्थी उलझी, परिजन नहीं बता पा रहे कारण
घर से चार किमी दूर मक्खनपुर रेलवे यार्ड के समीप नेताजी एक्सप्रेस के सामने दोनों चचेरी बहनों के आत्महत्या करने से पूरा गांव हतप्रभ हैं। ट्रेन के टकराने के बाद उनके शरीर के कई टुकड़े हो गए। घटना के बाद ट्रेन दस मिनट खड़ी रही। आत्महत्या का कारण बताने से परिजन इन्कार कर रहे हैं।
मक्खनपुर क्षेत्र के गांव जेबड़ा निवासी रश्मि यादव व तीन मकान छोड़कर रहने वाली चचेरी बहन मुस्कान के बीच में उम्र में महज दो वर्ष का अंतर था। लेकिन दोनों में बेहद करीबी भी थी। रश्मि के भाई मोहित ने बताया कि दोनों बहनें मंगलवार सुबह घर से पैदल निकल आईं थी।
कापी-किताब लाने के लिए बाजार जाने की कहकर निकली थीं दोनों
घर से वह दोनों कापी-किताब लाने के लिए बाजार जाने की कहकर निकली थीं। पता नहीं ट्रैक पर वह क्यों आ गई। जबकि घर पर कोई इस तरह की बात भी नहीं हुई थी। मुस्कान चार बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी थी।
मंगलवार शाम को पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही दोनों बहनों के शव पहुंचे तो गांव का माहौल गमगीन हो गया। शव वाहन पहुंचने पर गांव के लोग चीख उठे। गांव की महिलाएं व बुजुर्ग, युवा सभी की आंखें नम थी।
पूरा माहौल परिजन के करुण-क्रंदन और उनकी चीख-पुकार से गूंज उठा। सैकड़ों की तादाद में मौजूद लोगों ने मृतक के परिजन को सांत्वना दी। गांव में कई घरों में शाम को चूल्हे तक नहीं जले।