
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को पहले ही बड़ी झटका लग गया है. गठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे में देरी और उम्मीदवारों के नामांकन में तकनीकी चूक ने कई प्रत्याशियों को चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया है. सुगौली विधानसभा सीट पर विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने की खबर सामने आई है.
विकासशील इंसान पार्टी क्षेत्रीय दल के रूप में पंजीकृत है, लेकिन फिलहाल इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे दल के उम्मीदवारों को चुनावी नामांकन के समय दस प्रस्तावकों के साथ आवेदन देना अनिवार्य होता है. लेकिन इस बार VIP के उम्मीदवार और वर्तमान RJD विधायक शशि भूषण सिंह अपने नामांकन के लिए केवल एक प्रस्तावक के साथ पहुंचे. उन्होंने नामांकन पत्र जमा कर दिया, लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा जांच के बाद उनके नामांकन को रद्द कर दिया गया.
इन प्रत्याशियों का नामांकन रद्द
इसके साथ ही सुगौली सीट पर RJD के एक बागी उम्मीदवार ओमप्रकाश चौधरी का नामांकन भी रद्द कर दिया गया है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, चौधरी ने अपने नामांकन पत्र में कई आवश्यक विवरण और पृष्ठ खाली छोड़ दिए थे. इस वजह से उनके नामांकन को भी अमान्य घोषित कर दिया गया. इस घटनाक्रम के बाद अब सुगौली विधानसभा सीट पर जन सुराज पार्टी के अजय झा और एनडीए समर्थित लोजपा रामविलास के प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता के बीच मुकाबला सीमित हो गया है.
सुगौली विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में RJD के शशि भूषण सिंह ने VIP के रामचंद्र सहनी को मात्र 3,447 वोटों के अंतर से हराया था. शशि भूषण सिंह को 65,267 वोट मिले थे, जबकि रामचंद्र सहनी 61,820 वोटों पर संतोष करना पड़ा था. इस बार VIP और RJD के उम्मीदवारों के बाहर होने से महागठबंधन के लिए यह सीट जीतना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है.
वोटर्स के बीच भी असमंजस
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन में हुई देरी महागठबंधन के लिए बड़ी समस्या साबित हो सकती है. इस तरह की तकनीकी गलतियों से गठबंधन को पहले ही चुनाव से पहले नुकसान उठाना पड़ रहा है. सुगौली में उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने के कारण वोटर्स के बीच भी असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है.
निर्वाचन आयोग की सख्ती और नियमों का पालन करना सभी पार्टियों के लिए अनिवार्य है. इस बार सुगौली विधानसभा में मुकाबला केवल दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच सीमित होने के कारण चुनावी रणनीति में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.




