उत्तराखंड चुनाव 2027 से पहले कांग्रेस में घमासान, आपसी कलह ने बढ़ाई पार्टी की चिंता… ˌ

उत्तराखंड चुनाव 2027 से पहले कांग्रेस में घमासान, आपसी कलह ने बढ़ाई पार्टी की चिंता… ˌ
Before Uttarakhand elections 2027, there is a ruckus in Congress, internal discord has increased the concern of the party

Uttarakhand Politics: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2027 से पहले प्रदेश में जहां भारतीय जनता पार्टी अपना कुनबा मजबूत करने में जुटी हुई है और लगातार चुनाव को लेकर तैयारी कर रही है. वहीं अगर उनके सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के अगर बात की जाए तो कांग्रेस, बीजेपी से लड़ने के बजाय आपस में ही लड़ रही है. कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं, जिसमें एक दूसरे पर निशाना साधते हुए दिखाई दे रहे हैं.

हाल ही में कांग्रेस विधायक मयूख महर ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा पर निशाना साधा. उन्होंने साफ तौर पर करण मेहरा को आड़े हाथों लिया. वही करण मेहरा ने इस विषय में बोलने से साफ इनकार कर दिया, लेकिन हरीश रावत ने इस मामले में कहा कि अगर करण मेहरा इस मामले में माफी नहीं मांगते तो मैं मांग लूंगा. वही हरीश रावत और हरक सिंह रावत के बीच की लड़ाई साफ़ दिखाई दे रही है. जहां हरीश रावत हरक सिंह रावत को माफ करने को तैयार नहीं है तो वहीं हरक सिंह रावत भी खुद मैदान में उतरने को तैयार है. दोनों एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयान बाजी कर रहे हैं.

आपस में अदावत जारी है

वही हाल ही में ताजा मामला अब यशपाल आर्य के करीबी और कांग्रेस नेता हरेंद्र सिंह लाडी का सामने आया है. लाडी ने कांग्रेस विधायक तिलक राज बेड पर निशान साधा है. उन्होंने तिलक राजभर को अपने सर छोड़कर भागने वाला बताया है, वही हरीश रावत और कांग्रेस के पूर्व विधायक और हरीश रावत के सबसे करीबी रहे रणजीत सिंह रावत की आपसी अदावत किसी से छुपी नहीं है. कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं की आपसी लड़ाई 2027 चुनाव से पहले काफी तेजी से बाहर आ रही है और इस लड़ाई का सबसे ज्यादा मजा ले रही है भारतीय जनता पार्टी.

बीजेपी के संपर्क में कई नेता?

भारतीय जनता पार्टी लगातार इस बात को कहती आ रही है कि उनके संपर्क में कांग्रेस के कई विधायक और कई बड़े नेता हैं और 2027 चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. अगर भारतीय जनता पार्टी का यह कहना सही है तो कांग्रेस के लिए 2027 चुनाव की रहा आसान नहीं होगी, क्योंकि उत्तराखंड में पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक मौजूदा विधायक ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर दी थी तो वहीं कई पूर्व विधायक और कैबिनेट मंत्रियों ने भी भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किया था.

लगातार भाजपा का कुनबा बढ़ रहा है तो वहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं की लड़ाई कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही है. क्या ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा फैसला ले सकता है, क्योंकि पिछले दिनों केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा एक मीटिंग दिल्ली में बुलाई गई थी. जिसमें कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं को बुलाया गया था. प्रदेश के तमाम बड़े नेता दिल्ली में जुटे थे और राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने इसे बातचीत कर 2027 चुनाव पर फोकस करने की बात कही थी, लेकिन इन नेताओं की आपसी लड़ाई 2027 चुनाव से कांग्रेस को लगातार दूर करती हुई नजर आ रही है.

पहले भी आपस की लड़ाई में हारे

2022 हो या 2017 हो तब भी इन नेताओं की आपसे अदावत सामने आई थी और अब भी यह अदावत साफ़ देखने को मिल रही है. ऐसे में कांग्रेस का कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस करता है, जब उसके बड़े नेता आपसे बयान बाजी कर एक दूसरे के खिलाफ टीका टिप्पणी करते हैं. तो ऐसे में जो जमीन स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता हैं उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, और 2027 चुनाव में वह कैसे जनता के बीच जाएं यह सोचने पर वह मजबूर हो जाते हैं.

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