
जब! 28 km पैदल चलकर रात 3 बजे शादी करने पहुंचा दूल्हा, यह देख रो पड़ी दुल्हन, मजबूरी ऐसी थी कि काम ना आ सकीं 4 – ˌ
ब्रह्मपुर(Brahmapur). गाजे-बाजे-डीजे और घोड़ी के बगैर भला कोई बारात होती है? लेकिन मजबूरी कुछ भी करा सकती है। कहीं दुल्हन नाराज न हो जाए, शादी न टूट जाए…इस चिंता में रायगड़ा जिले में न केवल बाराती, बल्कि दूल्हा भी शादी…