
दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन को संबोधित करते पीएम मोदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के रोहिणी में अंतर्राष्ट्रीय आर्यन शिखर सम्मेलन 2025 में शामिल हुए. उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की समाज सेवा के 150 वर्षों के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का जारी किया. प्रधानमंत्री ने कहा, स्वामी दयानंद सरस्वती जी जानते थे कि अगर भारत को आगे बढ़ना है तो भारत को सिर्फ गुलामी की जंजीरें ही नहीं तोड़नी हैं. जिन जंजीरों ने हमारे समाज को जकड़ा हुआ था उनको भी तोड़ना जरूरी था. इसलिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने ऊंच-नीच, छुआछूत और भेदभाव का खंडन किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारा भारत कई मायनों में विशेष है. ये धरती, इसकी सभ्यता, इसकी वैदिक परंपरा, ये युगों-युगों से अमर है क्योंकि किसी भी कालखंड में जब नई चुनौतियां आती हैं. समय नए सवाल पूछता है तो कोई न कोई महान विभूति उनके उत्तर लेकर अवतरित हो जाती है. कोई न कोई ऋषि, महर्षि और मनीषी हमारे समाज को नई दिशा दिखाते हैं. दयानंद सरस्वती भी इसी विराट परंपरा के महर्षि थे.
विराट स्वरूप में नमन कर रहा है भारत
पीएम मोदी ने कहा, आर्य समाज अपनी स्थापना से लेकर आज तक प्रबल राष्ट्रभक्तों की संस्था रही है. आर्य समाज निर्भीक होकर भारतीयता की बात करने वाली संस्था रही है. भारत विरोधी कोई भी सोच हो, विदेशी विचारधाराओं को थोपने वाले लोग हों, विभाजनकारी मानसिकता हो, सांस्कृतिक प्रदूषण के दुष्प्रयास हों, आर्य समाज ने हमेशा इनको चुनौती दी है. मुझे संतोष है कि आज जब आर्य समाज और उसकी स्थापना के 150 साल हो रहे हैं तो समाज और देश दयानंद सरस्वती जी के महान विचारों को इस विराट स्वरूप में नमन कर रहा है.
आर्य समाज को वो सम्मान नहीं मिला जिसका हकदार था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आर्य समाज की स्थापना के 150 साल यह अवसर केवल समाज के एक हिस्से या सम्प्रदाय से जुड़ा नहीं है. यह अवसर पूरे भारत की वैदिक पहचान से जुड़ा है, यह अवसर भारत के उस विचार से जुड़ा है जो गंगा के प्रवाह की तरह खुद को परिष्कृत करने की ताकत रखता है. जिसने आजादी की लड़ाई में कितने ही सैनानियों को वैचारिक ऊर्जा दी, कितने ही क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व समर्पित किया था. दुर्भाग्य से राजनीतिक कारणों से आजादी की लड़ाई में आर्य समाज की इस भूमिका को वो सम्मान नहीं मिला जिसका आर्य समाज हकदार था.




