क्या आपके बच्चे में भी बढ़ रहा है मोटापा, कैसे करें देखभाल, डॉक्टर से जानें

क्या आपके बच्चे में भी बढ़ रहा है मोटापा, कैसे करें देखभाल, डॉक्टर से जानें

मोटापा कम करने के घरेलू नुस्खेImage Credit source: Jose Luis Pelaez Inc/DigitalVision/Getty Images

Childhood obesity in India: सितंबर माह राष्ट्रीय बाल मोटापा जागरूकता माह (National Childhood Obesity Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है. यह हमें याद दिलाता है कि बचपन का मोटापा आज दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गया है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. बदलती जीवनशैली, खानपान की आदतें और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण शहरी क्षेत्रों में बच्चों में मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

आज के बच्चे घंटों मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर पर समय बिताते हैं, जिससे शारीरिक गतिविधि कम हो गई है. इसके साथ ही जंक फूड, मीठे पेय पदार्थ और पैकेज्ड स्नैक्स का सेवन बढ़ गया है. आधुनिक पैरेंटिंग भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है—बार-बार बाहर खाना, प्रोसेस्ड फूड पर निर्भरता और अनियमित भोजन की आदतें बच्चों के लिए नुकसानदायक हैं. फोर्टिस हॉस्पिटल में सीनियर डायरेक्टर एवं यूनिट हेड, पीडियाट्रिक्स विभाग डॉ. डॉ. विवेक जैन बताते हैं कि बच्चों में मोटापा बढ़ने के कई कारण हैं.खेल की कमी, पढ़ाई का दबाव और परिवार में मोटापे का इतिहास भी जोखिम को बढ़ाता है. अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो बचपन का मोटापा बड़े होने पर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है.

सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक असर भी

मोटे बच्चों को अक्सर साथियों की चिढ़ाने की आदत, सामाजिक अलगाव, आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इससे उनमें चिंता, अवसाद और पढ़ाई में गिरावट जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं.

रोकथाम घर से शुरू करें

अच्छी बात यह है कि मोटापा रोका जा सकता है. माता-पिता सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. छोटी-छोटी आदतें बड़े बदलाव ला सकती हैं-

  • संतुलित आहार- घर का बना पौष्टिक भोजन दें जिसमें फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों। तली-भुनी चीज़ें और मीठे पेय सीमित करें.
  • रोज़ व्यायाम- बच्चों को रोज़ाना कम से कम 60 मिनट साइक्लिंग, आउटडोर खेल या किसी भी शारीरिक गतिविधि के लिए प्रोत्साहित करें.
  • स्क्रीन टाइम पर रोक- टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम पर सीमा तय करें ताकि बच्चे सक्रिय रहें और नींद की गुणवत्ता भी बेहतर हो.
  • परिवार की भागीदारी- परिवार साथ मिलकर व्यायाम करे, एक साथ भोजन करे और स्वास्थ्य को सुविधा से अधिक महत्व दे.
  • स्कूल की भूमिका- स्कूलों को चाहिए कि पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराएं, खेल-कूद को बढ़ावा दें और स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं.

समय पर जागरूकता जरूरी

राष्ट्रीय बाल मोटापा जागरूकता माह केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं है, बल्कि एक जागरूकता का संदेश है. परिवार, स्कूल और समाज मिलकर ही बच्चों में स्वस्थ जीवनशैली की आदत डाल सकते हैं. यह सिर्फ वज़न कम करने की बात नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ, आत्मविश्वासी और सफल बनाने का संकल्प है.