
नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी पौधे के बारे में बताएंगे, जो रोगों को पराजित करता है, इसीलिए इसे अपराजिता कहते हैं। यह एक बहुत ही सामान्य सा पौधा है और अपने आकर्षक फूलों के कारण इसे लॉन की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है।
अपराजिता की लताएँ होती हैं, ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं – नीले और सफ़ेद। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आप अपने घरों में सफ़ेद फूलों वाली अपराजिता ही लगाएं, क्योंकि यही सांप के ज़हर की दुश्मन मानी जाती है। अपराजिता को विष्णुकांता और गोकर्णी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसमें बरसात के सीज़न में फलियाँ और फूल लगते हैं।
आइए जानते हैं अपराजिता के विभिन्न औषधीय उपयोग:
1. साँप का ज़हर उतारने में मददगार
अपराजिता को सांप के ज़हर के निवारण में बहुत प्रभावी माना जाता है। ज़हर के शरीर में फैलाव के आधार पर इसके उपयोग का तरीका भिन्न हो सकता है:
- चमड़ी के अंदर तक ज़हर: अपराजिता की जड़ का पावडर 12 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिलाकर खिलाएं।
- ज़हर खून में: जड़ का पावडर 12 ग्राम दूध में मिलाकर पिलाएं।
- ज़हर मांस में: कूठ का पावडर और अपराजिता का पावडर 12-12 ग्राम मिलाकर पिलाएं।
- ज़हर हड्डियों तक: हल्दी का पावडर और अपराजिता का पावडर (दोनों एक-एक तोला) मिलाकर दें।
- ज़हर चर्बी में: अपराजिता के साथ अश्वगंधा का पावडर मिलाकर दें।
- ज़हर आनुवंशिक पदार्थों तक: अपराजिता की जड़ का 12 ग्राम पावडर ईसरमूल कंद के 12 ग्राम पावडर के साथ दें।
इन सबका दो बार प्रयोग करना काफी होगा। हालांकि, सांप के विष की पहुँच कहाँ तक हो गई है, यह केवल कोई बहुत जानकार व्यक्ति ही बता पाएगा।
2. चेहरे की झाइयों के लिए (Melasma)
मुंह की झाइयों पर अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुंह की झाइयां दूर हो जाती हैं।
3. सिरदर्द से राहत
अपराजिता की फली के 8-10 बूंदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट और सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है।
4. श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) में लाभकारी
श्वेत कुष्ठ पर अपराजिता की जड़ 20 ग्राम और चक्रमर्द की जड़ 1 ग्राम, पानी के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही, इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से दो महीने में ही श्वेत कुष्ठ में लाभ हो जाता है।
5. त्वचा संबंधी रोगों के लिए (Skin Diseases)
अपराजिता के पत्तों का फांट (घोल) सुबह और शाम पिलाने से त्वचा संबंधी सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
6. पीलिया में सहायक (Jaundice)
पीलिया, जलोदर और बालकों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भुने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग महीन चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन कराने से पीलिया ठीक हो जाता है।
7. आधाशीशी या माइग्रेन (Migraine)
अपराजिता के बीजों के 4-4 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी यानी आधे सिर का दर्द (माइग्रेन) भी मिट जाता है।
महत्वपूर्ण नोट: यहाँ जिन भी औषधियों के नाम आए हैं, ये आपको पंसारी या कंठालिया की दुकान पर मिल जाएंगी जो जड़ी-बूटियाँ रखते हैं। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए इन नुस्खों का उपयोग करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।