भारत की राह से अमेरिका हटा रहा परमाणु समझौते का बड़ा रोड़ा, देखते रह गए चीन-पाकिस्तान ) “ • ˌ

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India-USA Relations: अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने सोमवार ( 6 जनवरी) को कहा कि अमेरिका उन नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदमों को अंतिम रूप दे रहा है, जिनके कारण भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधा आ रही है.

सुलिवन ने यह घोषणा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल के साथ अलग-अलग वार्ता के कुछ घंटों बाद की.

2005 में शुरू हुई थी ये योजना

जुलाई 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ बैठक के बाद भारत और अमेरिका ने असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग करने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत हुई थी. भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर 2008 में मुहर लगी थी. इस ऐतिहासिक समझौते ने दोनों पक्षों के बीच संबंधों को बदल दिया और रणनीतिक साझेदारी का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.

जेक सुलिवन ने कही ये बात

जेक सुलिवन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में अपने संबोधन में कहा, “पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने करीब 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का एक दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अब भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं.” उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने तय किया है कि इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए अगला बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है.

सुलिवन ने कहा कि अमेरिका उन दीर्घकालिक नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदमों को अंतिम रूप दे रहा है, जिनके कारण भारत की अग्रणी परमाणु इकाइयों और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधा आ रही है.

जल्द पूरी हो जाएंगी कागजी कारवाई

उन्होंने कहा, “औपचारिक कागजी कार्रवाई जल्द ही पूरी कर ली जाएगी, लेकिन यह अतीत के कुछ विवादों को भुलाने का एक अवसर होगा तथा उन कंपनियों के लिए अवसर पैदा करेगा जो अमेरिका की प्रतिबंधित सूचियों में हैं, ताकि वे उन सूचियों से बाहर आ सकें तथा अमेरिका के साथ गहन सहयोग कर सकें.”

सुलिवन ने यह भी घोषणा की कि राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही भारत-अमेरिका वाणिज्यिक और असैन्य अंतरिक्ष साझेदारी शुरू होने वाली है. उन्होंने कहा कि इस कदम से मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.

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