
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लागू टैरिफ के बढ़ाव को रोकते हुए इसे अगले 90 दिनों तक के लिए स्थगित कर दिया है। यह निर्णय उस समय लिया गया जब चीन के साथ व्यापार वार्ता जारी है और दोनों देशों के बीच स्थायी समाधान की उम्मीद बनी हुई है। इस कार्यकारी आदेश पर ट्रंप ने हस्ताक्षर किए हैं, जो 10 नवंबर 2025 तक चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ दरों को स्थिर रखेगा।
टैरिफ मसले की पृष्ठभूमि
- अमेरिका ने इस साल अप्रैल में चीन के आयातित वस्तुओं पर टैरिफ दर को 145% तक बढ़ा दिया था, जबकि चीन ने अमेरिकी आयात पर 125% टैरिफ लगा दिया था।
- मई में दोनों देशों ने जिनेवा में बातचीत के बाद ज्यादातर टैरिफों को कम करने पर सहमति जताई और अमेरिका ने चीन पर टैरिफ को घटाकर 30%, जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 10% कर दिया।
- हाल ही में जुलाई-आगस्त में दोनों देशों ने स्टॉकहोम और अन्य स्थानों पर सकारात्मक बातचीत की, जिसके कारण टैरिफ बढ़ाने की समय सीमा बढ़ाने का निर्णय आया।
वर्तमान टैरिफ दर और आर्थिक असर
- चीन से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका का मौजूदा टैरिफ 30% है, जिसमें 10% बेस दर और 20% फेंटेनाइल-संबंधी अतिरिक्त शामिल है।
- चीन ने अमेरिकी आयात पर अपनी दर घटाकर 10% कर दी है।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि टैरिफ विस्तार से दोनों देशों की GDP पर असर पड़ेगा और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ेगी।
- आयात-निर्यात पर निर्भर कंपनियों की लागत बढ़ सकती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित होंगी।
भारत पर लागू टैरिफ की तुलना
- अमेरिका ने हाल ही में भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% का टैरिफ बढ़ाकर कुल 50% कर दिया है, खासकर रूस से तेल खरीदने को लेकर।
- भारत इस कार्रवाई को अनुचित मानता है और इसके कारण भारत-यूएस व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हुए हैं।
- वहीं, चीन के मामले में अमेरिका ने फिलहाल टैरिफ बढ़ाने से विराम रखा है, संभवतः व्यापार वार्ता और वैश्विक आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए।
भविष्य की संभावना और वैश्विक प्रतिक्रिया
- यदि 90 दिनों के भीतर कोई सार्थक समझौता नहीं होता है, तो टैरिफ दरें फिर से उच्च स्तर पर लौट सकती हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में गिरावट आ सकती है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थान इस विवाद को समाप्त करने के प्रयास कर सकते हैं।
- टैरिफ स्थगन को एक रणनीतिक विराम माना जा रहा है, जो दोनों पक्षों को वार्ता के लिए समय देता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह समय सीमा विस्तार ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संभावित शिखर सम्मेलन की तैयारी का संकेत भी हो सकता है।
इस प्रकार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक तनाव को फिलहाल वार्ता के जरिए सुलझाने के प्रयास में टैरिफ बढ़ाव की योजना को टाल कर एक रणनीतिक कदम उठाया है, जबकि भारत के प्रति अधिक कड़े टैरिफ लागू कर करार तनावपूर्ण बना हुआ है