
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ का ऐलान किया था, तब उन्होंने भारत को टैरिफ किंग कहकर संबोधित किया था और भारत के एक्सपोर्ट को बड़ा डेंट पहुंचाने की कोशिश की थी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सारे मोहरे भारत के सामने पिटते हुए दिखाई दिए. इसका सबसे बड़ा सुबूत है भारत का करंट अकाउंट सरप्लस. जिसका आंकड़ा देखकर न्यूयॉर्क से लेकर शंघाई तक सब हैरान हैं. भारत का कंरट अकाउंट सरप्लस में आना इस बात का संकेत है कि भारत के एक्सपोर्ट में इजाफा हुआ है और इंपोर्ट में गिरावट देखने को मिला है.
जिसकी वजह से पड़ोसी देश चीन की भी बेचैनी काफी बढ़ गई है. ये बेचैनी इस वजह से है कि भारत अब दुनिया के तमाम देशों को अपना एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है. साथ ही दुनिया की कई कंपनियां भारत में अपनी फैक्ट्री लगा रही हैं. जो शतरंज की चाल कभी चीन चल रहा था, अब उसी चाल से भारत ‘ड्रैगन’ को मात देने की कोशिश कर रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत के करंट अकाउंट सरप्लस को लेकर किस तरह के आंकड़े सामने आए हैं.
13.5 अरब डॉलर का सरप्लस
भारत ने जनवरी-मार्च तिमाही में 13.5 अरब डॉलर का करंट अकाउंट सरप्लस दर्ज किया जो जीडीपी का 1.3 प्रतिशत है. एक साल पहले की समान अवधि में यह 4.6 अरब डॉलर था. इसका मतलब है कि एक साल में इसमें 3 गुना का इजाफा देखने को मिल चुका है. देश के सेंट्रल बैंक आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की मार्च तिमाही में करंट अकाउंट बढ़ने की मुख्य वजह सर्विसेज के एक्सपोर्ट में वृद्धि और विदेश से भेजे जाने वाले धन में बढ़ोतरी रही. हालांकि सालाना आधार पर देश का करंट अकाउंट 2024-25 के दौरान 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) घाटे में रहा. किसी देश के चालू खाते से यह पता चलता है कि संबंधित देश को निर्यात से कितनी आय हुई और उसने आयात पर कितना खर्च किया. इसके अलावा निवेश से आय और धनप्रेषण से जुड़े लेन-देन भी इसमें शामिल होते हैं.
आरबीआई की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े
आरबीआई ने ‘2024-25 की चौथी तिमाही के दौरान भारत का भुगतान संतुलन’ रिपोर्ट में कहा कि भारत के करंट अकाउंट में 2024-25 की चौथी तिमाही के दौरान 13.5 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) का सरप्लस दर्ज किया गया, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 4.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.5 प्रतिशत) था.
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 11.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) का घाटा था. भुगतान संतुलन देश के बाहरी भुगतान परिदृश्य का एक संकेतक है.
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 59.5 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार घाटा हुआ जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 52 अरब डॉलर था. हालांकि, वस्तु व्यापार घाटा 2024-25 की तीसरी तिमाही के 79.3 अरब डॉलर के मुकाबले कम रहा.
शुद्ध सेवा प्राप्तियां बढ़कर 2024-25 की चौथी तिमाही में 53.3 अरब डॉलर हो गईं जो एक साल पहले की समान अवधि में 42.7 अरब डॉलर थीं. व्यावसायिक सेवाओं और कंप्यूटर सेवाओं जैसी प्रमुख श्रेणियों में सेवा निर्यात में सालाना आधार पर वृद्धि हुई है.
व्यक्तिगत अंतरण प्राप्तियां 2024-25 की चौथी तिमाही में बढ़कर 33.9 अरब डॉलर हो गईं, जो 2023-24 की चौथी तिमाही में 31.3 अरब डॉलर थीं.
आरबीआई ने कहा कि प्राइमरी इनकम अकाउंट पर नेट एक्सपेंडिचर चौथी तिमाही में 11.9 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 14.8 अरब डॉलर था.
वित्तीय खाते में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने आलोच्य अवधि में 40 करोड़ डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में 2.3 अरब डॉलर का निवेश आया था.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) ने मार्च तिमाही में 5.9 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 11.4 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ था.
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.8 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में 30.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में भुगतान संतुलन पर कहा कि इस अवधि में भारत का चालू खाता घाटा 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) रहा जो वित्त वर्ष 2023-24 के 26 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.7 प्रतिशत) से कम है.
पिछले वित्त वर्ष में एफडीआई के तहत एक अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह आया जो 2023-24 के दौरान आए 10.2 अरब डॉलर एफडीआई से कम है.वित्त वर्ष 2024-25 में एफपीआई ने 3.6 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जो एक साल पहले के 44.1 अरब डॉलर से कम है.
क्या कहते हैं जानकार?
रेटिंग एजेंसी इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि करंट अकाउंट अपेक्षा के अनुरूप चौथी तिमाही में सीजनेबल सरप्लस की स्थिति में रहा लेकिन प्राइमरी इनकम निकासी में आश्चर्यजनक गिरावट के बीच इसका आकार उम्मीद से अधिक रहा. हालांकि नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में चालू खाता वस्तु व्यापार घाटे में वृद्धि और सेवा व्यापार अधिशेष में कमी के अनुमानों को देखते हुए घाटे की स्थिति में आ जाएगा.