दिल्ली स्थित कृषि भवन में मंगलवार (7 अक्टूबर) को पराली प्रबंधन को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की. उनके साथ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहे. इस बैठक में पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी वर्चुअली शामिल हुए.
बैठक में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने, धान के अवशेषों के बेहतर उपयोग, किसानों में जागरूकता, वित्तीय सहायता, निगरानी प्रणाली, फसल प्रबंधन और विविधिकरण जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. बैठक की शुरुआत में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पराली प्रबंधन की स्थिति की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि संबंधित योजनाओं को पूरी सजगता और प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जा रहा है और फील्ड अधिकारी पूरी तरह से सक्रिय हैं. हरियाणा के कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, जिससे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है और किसान वैकल्पिक उपायों को अपना रहे हैं.
कृषि मंत्री ने की राज्यों के प्रयासों की सराहना
राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस दिशा में अच्छा कार्य हो रहा है, लेकिन व्यापक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक हैं. उन्होंने किसानों के बीच जनजागरूकता को बेहद महत्वपूर्ण बताया और सुझाव दिया कि पंचायतों, स्थानीय प्रतिनिधियों एवं नोडल अधिकारियों को ग्राम स्तर पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री @byadavbjp जी के साथ पराली प्रबंधन पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री तथा दिल्ली के पर्यावरण मंत्री वर्चुअली जुड़े।
पराली प्रबंधन हेतु किसानों में जागरूकता बढ़ाना बहुत pic.twitter.com/0YhRD3pE4M
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) October 7, 2025
‘प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे’
केंद्रीय कृषि मंत्री ने फसल प्रबंधन, डायरेक्ट सीडिंग, फसल विविधिकरण, आवंटित धन का प्रभावी उपयोग, निगरानी तंत्र और व्यावहारिक, लक्षित कार्य योजनाओं के निर्माण पर भी चर्चा की. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ठोस और समन्वित प्रयासों से निश्चित रूप से सकारात्मक और व्यावहारिक परिणाम सामने आएंगे.
मंत्री ने की सीधी बुवाई को बढ़ावा देने की अपील
शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्य कृषि मंत्रियों से अपने-अपने क्षेत्रों में सीधी बुवाई (Direct Seeding of Wheat) को बढ़ावा देने की अपील की. उन्होंने घोषणा की कि वो खुद 12 अक्टूबर को अपने खेत में धान की कटाई के तुरंत बाद गेहूं की डायरेक्ट बुवाई करेंगे ताकि किसानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके. जिससे वो प्रेरित हों और पराली प्रबंधन को अपनाएं. उन्होंने कहा ‘जब किसान मुझे ऐसा करते देखेंगे, तो वे भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित होंगे’.
कृषि मंत्री ने किसानों से रोटावेटर, चॉपर, बायो-डीकंपोजर, और मल्चिंग उपकरणों के उपयोग का आग्रह किया और कहा कि बायो-CNG व एथेनॉल प्लांट के जरिए पराली का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि उपलब्ध धन का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि मशीनरी की उपलब्धता बाधा न बने. उन्होंने दीर्घकालिक उपायों के रूप में फसल विविधिकरण को प्राथमिकता देने पर बल दिया.
शिवराज सिंह चौहान ने दिए सुझाव
शिवराज सिंह चौहान ने पराली संग्रहण और निपटान तंत्र को बायो-CNG, पैलेट, कंपोस्ट इकाइयों, उद्योगों और थर्मल पावर प्लांट्स से जोड़ने का सुझाव दिया ताकि वैज्ञानिक तरीके से पराली प्रबंधन किया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने प्रशिक्षण, जागरूकता, क्षमता निर्माण और रीयल-टाइम निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयासों से आने वाले दिनों में पराली जलाने की घटनाएं निश्चित रूप से और कम होंगी. मंत्री ने कहा ‘जमीनी स्तर पर निगरानी बेहद जरूरी है. मुझे विश्वास है कि सतत प्रयासों से हम बेहतर परिणाम प्राप्त करेंगे और पर्यावरण एवं जलवायु की रक्षा करने में सफल होंगे’.
मंत्री भूपेंद्र यादव ने की राज्यों की तारीफ
वहीं बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यों के अब तक के प्रयासों की सराहना की और आगामी 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों के बीच समन्वय को और मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने पराली के संग्रहण और भंडारण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बताई ताकि इसका ईंट भट्ठों और थर्मल पावर प्लांट्स में सही उपयोग सुनिश्चित हो सके. इस बैठक में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, ICAR के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट सहित दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.