ChatGPT के बाद देश को हुआ फायदा, इस सेक्टर में 30 फीसदी बढ़ा एक्सपोर्ट

ChatGPT के बाद देश को हुआ फायदा, इस सेक्टर में 30 फीसदी बढ़ा एक्सपोर्ट

चैटजीपीटी से बढ़ा देश का एक्सपोर्ट

चैटजीपीटी लॉन्च होने के बाद से भारत के कंप्यूटर सर्विसेज के एक्सपोर्ट में 30% की बढ़ोतरी हुई है. विश्व बैंक की साउथ एशिया की चीफ इकोनॉमिस्ट फ्रांजिस्का ओह्नसोर्गे ने कहा कि भारत का कंप्यूटर सर्विस सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और चैटजीपीटी की लॉन्चिंग ने इसके एक्सपोर्ट को और बूस्ट किया है. भारतीय रिजर्व बैंक के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में भारत का सॉफ्टवेयर सर्विसेज एक्सपोर्ट 47.32 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल से 13% ज्यादा है.

चैटजीपीटी के लॉन्च से पहले, जुलाई-सितंबर 2022 में, ये एक्सपोर्ट 36.23 बिलियन डॉलर था. ओह्नसोर्गे का मानना है कि भारत AI के आने से फायदा उठाने की अच्छी पोजीशन में है, खासकर सर्विस सेक्टर, जैसे बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) इंडस्ट्री, जो इसे तेजी से अपनाने में लगी है.

एआई स्किल्स की डिमांड बढ़ी

उन्होंने कहा कि चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद BPO सेक्टर में 12% जॉब्स में AI स्किल्स की डिमांड बढ़ी है, जो पहले से दोगुनी है. ये दूसरे सेक्टर्स से तीन गुना ज्यादा है. ऑक्सफोर्ड इनसाइट्स के गवर्नमेंट AI रेडीनेस इंडेक्स में भारत 46वें स्थान पर है, जो बाकी उभरते बाजारों से बेहतर और लगभग डेवलप्ड देशों के लेवल पर है.

सर्विसेज का एक्सपोर्ट भारत के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इससे देश को बाकी दुनिया के साथ बड़ा सरप्लस मिलता है, जबकि गुड्स ट्रेड में डेफिसिट रहता है. कॉमर्स मिनिस्ट्री के शुरुआती डेटा के अनुसार, 2025-26 के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में भारत का गुड्स ट्रेड डेफिसिट 122 बिलियन डॉलर था, लेकिन सर्विस ट्रेड सरप्लस 81 बिलियन डॉलर रहा, जिसने इस डेफिसिट को काफी हद तक बैलेंस किया. 2024-25 में गुड्स ट्रेड डेफिसिट 121 बिलियन डॉलर था, जबकि सर्विस ट्रेड सरप्लस 68 बिलियन डॉलर.

निजी निवेश और FDI की दिक्कतें

ओह्नसोर्गे ने कहा कि AI के मौके निजी निवेश को आकर्षित करेंगे, लेकिन ये जरूरी नहीं कि कुल निवेश को बढ़ाने के लिए काफी हो, क्योंकि कोरोना महामारी के बाद से प्राइवेट कैपिटल खर्च की ग्रोथ धीमी हो गई है. उन्होंने कहा कि ये बाकी उभरते बाजारों के उलट है. पब्लिक निवेश में तेजी आई है, लेकिन प्राइवेट निवेश की ग्रोथ भारतीय स्टैंडर्ड्स से धीमी है, हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स से ये धीमी नहीं है. लेकिन नेट फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स से भी कमजोर है.

RBI के डेटा के मुताबिक, जुलाई में भारत का ग्रॉस FDI 50 महीने के हाई 11.11 बिलियन डॉलर पर पहुंचा, लेकिन नेट FDI 5.05 बिलियन डॉलर कम रहा. नेट FDI की गणना विदेशी कंपनियों के भारत में निवेश और भारतीय कंपनियों के विदेश में निवेश को एडजस्ट करने के बाद होती है. FDI देश की इकोनॉमी की सेहत और विदेशी निवेशकों के भरोसे का अहम इंडिकेटर है. 2024-25 में नेट FDI में भारी गिरावट आई, जो 2023-24 में 10.15 बिलियन डॉलर से घटकर 959 मिलियन डॉलर रह गई. ग्रॉस इनवेस्टमेंट बढ़कर 80.62 बिलियन डॉलर हुआ.

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